इस लाश को किसने सड़ाया
कल यानी 30 मार्च को यदि बारिश न होती तो क्या हुआ होता? और कुछ होता न होता परंतु ठीक बाइस दिन पहले ऐन होली के दिन ससुराल वालों द्वारा मार कर घर के निकट जमीन में दबा दी गई सरिता की लाश का पता नहीं चल पाता।
-राजेश बैरागी-
कल यानी 30 मार्च को यदि बारिश न होती तो क्या हुआ होता? और कुछ होता न होता परंतु ठीक बाइस दिन पहले ऐन होली के दिन ससुराल वालों द्वारा मार कर घर के निकट जमीन में दबा दी गई
सरिता की लाश का पता नहीं चल पाता। सत्ताईस साल की सरिता का ब्याह फरवरी 2015 में ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क थाना क्षेत्र के गांव डेरी कामबख्शपुर में जोगेंद्र उर्फ लाला के साथ हुआ था।
वह ग्रेटर नोएडा के ही गांव तुस्याना निवासी हरिओम की बेटी थी। ससुराल वालों ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट 9 मार्च को दर्ज कराई थी। उसके भाई ने उसी समय पुलिस को उसकी हत्या करने की आशंका जताई थी परंतु पुलिस ने उसे फटकार दिया।वह पुलिस के
उच्चाधिकारियों से लेकर बसपा नेता नरेंद्र कश्यप तक दौड़ा,तब कहीं जाकर 15 मार्च को उसकी प्राथमिकी दर्ज हुई। इसके बाद भी मायके वाले थाने से लेकर कमिश्नरेट मुख्यालय तक प्रतिदिन दौड़ लगाते रहे। पुलिस ने उल्टे उनपर ही सरिता को छुपाने का संदेह
किया और ससुराल वालों को पूछताछ से परे रखा। तो आज बारिश की कृपा से सरिता की सड़ी गली लाश बरामद हो गई। उसकी
लाश की इस दुर्दशा का जिम्मेदार कौन है? पुलिस ने मृतका के पति,सास और जेठानी को हिरासत में लेकर अपने 'सराहनीय कार्यों' की सूची में एक अंक का इजाफा कर लिया है