छुट्टा पशुओं की समस्या: गायों को लावारिस छोड़ने वालों पर शिकंजा कसने की कवायद

शाहजहांपुर (उत्तर प्रदेश), 06 नवंबर ( शाहजहांपुर जिले में गायों को सड़कों पर लावारिस छोड़े जाने के मामलों पर रोक लगाने के लिए प्रशासन ने हर गांव और हर घर में मवेशियों की गणना शुरू की है।

छुट्टा पशुओं की समस्या: गायों को लावारिस छोड़ने वालों पर शिकंजा कसने की कवायद

शाहजहांपुर (उत्तर प्रदेश), 06 नवंबर  शाहजहांपुर जिले में गायों को सड़कों पर लावारिस


छोड़े जाने के मामलों पर रोक लगाने के लिए प्रशासन ने हर गांव और हर घर में मवेशियों की
गणना शुरू की है।


एक अधिकारी ने बताया कि इस कवायद से मवेशियों की आबादी पर नजर रखने में मदद मिलेगी


और यह पता लगाया जा सकेगा कि क्या किसी घर ने दूध देना बंद करने के बाद गायों को छोड़
दिया है और ऐसे परिवारों से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा।


मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) श्याम बहादुर सिंह ने रविवार को बताया कि सरकार ने गौशालाएं
स्थापित की हैं,

लेकिन कई परिवार अब भी अपने मवेशियों को इन गौशालाओं में ले जाने के बजाय
सड़कों पर लावारिस छोड़ देते हैं।

शाहजहांपुर में 56 गौशालाएं हैं, जिनमें 12,669 गायें हैं। यहां चार और गौशालाएं बनाई जा रही हैं।
सीडीओ ने बताया, ‘मैंने (सरकारी) कर्मचारियों को निर्देश दिया है कि वे अपने-अपने इलाकों के


ग्रामीणों से बात करें और उन्हें अपने मवेशियों को दूध देना बंद करने पर छोड़ने के लिए हतोत्साहित
करें।’
सीडीओ ने कहा, ‘एक गांव और घर में गायों की संख्या का पता लगाने के लिए एक सर्वेक्षण चल
रहा है। इस दौरान ग्रामीणों से पूछा जाएगा कि क्या उन्होंने अपने मवेशियों में से किसी को दूध देना
बंद करने के बाद खुला छोड़ दिया है। ऐसा करने वालों से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा।’


अपर पुलिस अधीक्षक संजीव बाजपेयी ने कहा कि छुट्टा मवेशी सड़क हादसों का कारण बन रहे हैं।
उन्होंने बताया कि पुलिस थानों को निर्देश दिए गए हैं

कि हादसों में घायल हुए लोगों के साथ-साथ
घायल गायों का भी ध्यान रखा जाए।


उन्होंने कहा कि जिले में पशु तस्करों और गोहत्या में लिप्त लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की
जाती है।


इस बीच, कई किसानों ने आवारा पशुओं की समस्या पर अपनी व्यथा बयान की है।


मिर्जापुर थाना क्षेत्र स्थित काकर कठा गांव के किसान सर्वेश कुमार कश्यप ने कहा, ‘मेरे पास छह
एकड़ जमीन है और मेरे परिवार में आठ सदस्य हैं।

महिलाएं दिन में घर का काम करके फसलों की
देखभाल करती हैं और पुरुष रात में छुट्टा पशुओं से फसल की रखवाली करते हैं।’


छुट्टा पशुओं के झुंड को भगाने के लिए किसान अक्सर पटाखे फोड़ते हैं। आवारा मवेशियों के खतरे
ने कई किसानों को फसलों के विकल्प अपनाने के लिए मजबूर कर दिया है।


अल्लाहगंज क्षेत्र के मनिहार गांव के एक सीमांत किसान भगत कुमार शर्मा ने कहा कि कुछ साल
पहले तक वह बड़ी मात्रा में चने और अरहर की खेती करते थे

, लेकिन छुट्टा मवेशियों द्वारा इन
फसलों को आसानी से बर्बाद कर दिया जाता है।


उन्होंने कहा, ‘अधिक से अधिक किसान अब केवल गेहूं, गन्ना और धान का विकल्प चुन रहे हैं।’


मीरानपुर कटरा विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक राजेश यादव ने कहा कि वह अपने गांव शिवरा से


शाहजहांपुर शहर तक हर रोज 35 किलोमीटर की यात्रा करते हैं और छुट्टा मवेशियों के कारण घटित
होने वाली सड़क दुर्घटनाएं देखते हैं।

उन्होंने कहा, ‘अभी कुछ दिन पहले दो बैल आपस में लड़ते हुए सड़क पर आए और मेरी कार को
टक्कर मार दी, जिससे मैं और दो अन्य लोग घायल हो गए।’


शहमऊ क्षेत्र के किसान ध्रुव सिंह ने कहा, ‘लखनऊ-शाहजहांपुर रोड पर मेरा एक भोजनालय है। मैं
लगभग रोज सड़क दुर्घटनाओं में लोगों और छुट्टा मवेशियों को घायल होते देखता हूं।’


लखनऊ-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग और बरेली-कानपुर राज्य मार्ग से सटे मीरानपुर कटरा कस्बे की नगर


पंचायत के कार्यकारी अधिकारी अवनीश कुमार गंगवार ने बताया कि छुट्टा जानवरों की वजह से
रोजाना दो-चार दुर्घटनाएं होती हैं।