देश के 400 से अधिक गुमनाम कलाकारों के सुरों के महोत्सव की शुरुआत
नई दिल्ली, 22 जून राजधानी दिल्ली में लोक वाद्य यंत्रों के साज एक बार फिर बज उठे हैं। मंडी हाउस के आसपास सुरीले मनमोहक वाद्य यंत्रों के छिड़े सुरों से वातावरण में संगीत घुलने लगा है।
नई दिल्ली, 22 जून राजधानी दिल्ली में लोक वाद्य यंत्रों के साज एक बार फिर बज उठे हैं। मंडी
हाउस के आसपास सुरीले मनमोहक वाद्य यंत्रों के छिड़े सुरों से वातावरण में संगीत घुलने लगा है। विश्व संगीत
दिवस के मौके पर ज्योतिर्गमय उत्सव में देश के कोने-कोने से 400 से अधिक गुमनाम लोक कलाकार आए हैं। यह
कलाकार अगले चार दिन यानी 25 जून तक अपने सुरों की बारिश से लोगों को भिगोएंगे।
मंगलवार शाम आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष का उत्सव मनाने के
लिए संगीत नाटक अकादमी ने ज्योतिर्गमय उत्सव का आयोजन किया है। इस उत्सव में सड़क पर प्रदर्शन करने
वाले, ट्रेन में मनोरंजन करने वाले और मंदिरों से जुड़े कलाकार भाग ले रहे हैं। केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्तर
क्षेत्र विकास मंत्री जी किशन रेड्डी इस उत्सव का उद्घाटन किया।
संगीत नाटक अकादमी के वाद्य यंत्र संग्रहालय के क्यूरेटर जयंत राय चौधरी कहते हैं-;दुर्लभ संगीत वाद्ययंत्रों के
बारे में आज के युवाओं को जानकारी देने के लिए यह एक अच्छा मंच है।
एक तरफ गुमनाम कलाकारों को उनके
कौशल और उनकी पहचान से रूबरू कराने का मौका मिल रहा है।
लोगों को भी अद्भुत गीत-संगीत सुनने का मौका
मिल रहा है।
संगीत नाटक अकादमी का भारत से लुप्त हुई कलाओं को सामने लाने का यह अनूठा प्रयास है। यह
पहल विश्व संगीत दिवस के उत्सव के बाद भी जारी रहेगी।