सोमवती अमावस्या एवं सावन के दूसरे सोमवार के पावन पर्व पर मंदाकिनी नदी में सुबह दस बजे तक 10 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र डुबकी लगा कर कामदगिरि की परिक्रमा की
उत्तर प्रदेश के पौराणिक तीर्थ स्थल चित्रकूट में सोमवती अमावस्या एवं सावन के दूसरे सोमवार के पावन पर्व पर मंदाकिनी नदी में सुबह दस बजे तक 10 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र डुबकी लगा कर कामदगिरि की परिक्रमा की।
चित्रकूट, 17 जुलाई उत्तर प्रदेश के पौराणिक तीर्थ स्थल चित्रकूट में सोमवती अमावस्या एवं
सावन के दूसरे सोमवार के पावन पर्व पर मंदाकिनी नदी में सुबह दस बजे तक 10 लाख से अधिक
श्रद्धालुओं ने पवित्र डुबकी लगा कर कामदगिरि की परिक्रमा की।
इस अवसर पर सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम किये गये थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर
श्रद्धालुओं पर हेलीकाप्टर से पुष्पवर्षा की गयी। इस विहंगम दृश्य को देख कर हर कोई अभिभूत दिखा
और श्रद्धालुओं ने राजा रामचंद्र की जय और योगी जिंदाबाद के नारे लगाये।
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के अलावा राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों के लाखों
श्रद्धालुओं ने भगवान राम की तपोभूमि पर रविवार रात से ही डेरा डाल दिया था और तड़के चार बजे से
ही स्नान ध्यान और परिक्रमा का सिलसिला शुरू हो गया जो अनवरत जारी है।
मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित राम घाट पर सुबह चार बजे से ही श्रद्धालुओं का भारी जमावड़ा हो
गया था। लोग स्नान करके रामघाट में स्थित मतगजेंद्र भगवान (शंकर जी) को जल चढ़ा रहे थे और
कामदगिरि की परिक्रमा के लिए जा रहे थे।
रामघाट में मौजूद मतगजेंद्र भगवान का मंदिर अत्यंत पौराणिक है और मतगजेंद्र भगवान स्वयंभू
ज्योतिर्लिंग है। मान्यता है कि प्रभु श्री राम चित्रकूट निवास करने के लिए आए तब उन्होंने इन्हीं शंकर
जी से अनुमति लेकर चित्रकूट में निवास करने की अनुमति ली थी। यह यहां के राजा थे। इसके बाद प्रभु
श्री राम ने अपने हाथों से उन्हीं के बगल में एक शिवलिंग की स्थापना भी की थी।
पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान ब्रह्मा जी ने भी यहीं पर एक शिवलिंग की स्थापना की थी और
बाद में पन्ना नरेश द्वारा लगभग 600 वर्ष पूर्व मनोकामना पूर्ति होने पर एक शिवलिंग की स्थापना की
थी इस प्रकार मतगजेंद्र भगवान में 4 शिवलिंग है जो पूरे देश में कहीं नहीं है वैसे तो प्रत्येक दिन इस
मंदिर में जबरदस्त भीड़ रहती है परंतु सावन माह में यहां श्रद्धालुओं की संख्या प्रतिदिन 50000 से
100000 हो जाती है
और सोमवार को यह संख्या लाखों में पहुंच जाती है इसकी लाइन किलोमीटर तक
लग जाती है। श्रद्धालु मंदाकिनी नदी से जल लेकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं।
कामतानाथ जी की 5 किलोमीटर की परिक्रमा में आज एक तरफ जहां लाखों श्रद्धालु मौजूद थे वही
दंडवती लेट लेट कर परिक्रमा लगाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी बहुत अधिक रही।
कामदगिरि मुखारविंद के महंत स्वामी रामस्वरूप आचार्य ने बताया कि सोमवती अमावस्या के पावन पर्व
में कामतानाथ जी की परिक्रमा लगाने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
आज के दिन श्रद्धालुओं
को राम राम का जप करते एवं अन्न दान करते हुए परिक्रमा लगानी चाहिए।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अगर अमावस्या सावन के सोमवार में पढ़ती है तो भगवान भोलेनाथ
एवं प्रभु श्री राम का चित्रकूट में वास रहता है और वे सभी श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी करते हैं इन्हीं
सब बातों को लेकर सावन के सोमवार एवं सोमवती अमावस्या को लेकर भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद
रहते हैं। पूरी परिक्रमा मार्ग में एवं रामघाट में पुलिस एवं प्रशासन की चाक-चौबंद व्यवस्था रही पुलिस
अधीक्षक एवं जिलाधकारी लगातार अपने दल बल के साथ रामघाट में मौजूद रहे।