गौडीय संप्रदाय के प्रमुख स्तम्भ थे श्रील जीव गोस्वामी महाराज
वृन्दावन।सेवाकुंज क्षेत्र स्थित प्राचीन ठाकुर श्रीराधा दामोदर मंदिर में मन्दिर की प्रधान सेवायत आचार्या श्रीमती तरुलता गोस्वामी (मां गुसाईं) के पावन सानिध्य में चल रहे दस दिवसीय श्रील जीव गोस्वामी तिरोभाव महोत्सव के अंतर्गत गोस्वामीगण, वैष्णवगण, व विप्रगणों के द्वारा श्रीभक्ति ग्रंथ पारायण स्तवस्तोत्र पाठ के साथ श्रील जीव गोस्वामी महाराज की समाधि का पूजन किया गया।

गौडीय संप्रदाय के प्रमुख स्तम्भ थे श्रील जीव गोस्वामी महाराज
वृन्दावन।सेवाकुंज क्षेत्र स्थित प्राचीन ठाकुर श्रीराधा दामोदर मंदिर में मन्दिर की प्रधान सेवायत आचार्या श्रीमती तरुलता गोस्वामी (मां गुसाईं) के पावन सानिध्य में चल रहे दस दिवसीय श्रील जीव गोस्वामी तिरोभाव महोत्सव के अंतर्गत गोस्वामीगण, वैष्णवगण, व विप्रगणों के द्वारा श्रीभक्ति ग्रंथ पारायण स्तवस्तोत्र पाठ के साथ श्रील जीव गोस्वामी महाराज की समाधि का पूजन किया गया। तत्पश्चात संतों-भक्तों के द्वारा श्रीहरिनाम संकीर्तन सहित मन्दिर की चार परिक्रमा की।
इस अवसर पर आयोजित वृहद संत-विद्वत सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए त्रिदंडी भक्ति वेदांत स्वामी मधुसूदन गोस्वामी महाराज एवं बड़ी सूरमा कुंज के महंत स्वामी प्रेमदास महाराज ने कहा कि श्रील जीव गोस्वामी महाराज गौडीय संप्रदाय के प्रमुख स्तम्भ थे। उनकी कठोर भगवत साधना के वशीभूत बादशाह अकबर भी उनका आदर करते थे।उमा शक्ति पीठाधीश्वर स्वामी रामदेवानंद सरस्वती महाराज एवं चरणाश्रम के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी सत्यानंद सरस्वती महाराज (डॉ. अधिकारी गुरुजी) ने कहा कि दिव्या महापुरुष एवं आचार्य चरण स्वयं भगवान के ही अंश होते हैं।
वे उन्हीं की आज्ञा से मानव कल्याण व भगवत भक्ति के प्रचार-प्रसार हेतु पृथ्वी पर आते हैं और उन्हीं की आज्ञा से अंतर्ध्यान हो जाते हैं।
चतु:संप्रदाय के श्रीमहंत फूलडोल बिहारीदास महाराज एवं ब्रजभूमि कल्याण परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पण्डित बिहारीलाल वशिष्ठ ने कहा कि श्रील जीव गोस्वामी महाराज चैतन्य महाप्रभु के प्रमुख शिष्यों में से एक थे। उन्हीं की आज्ञा से तत्कालीन शहंशाह अकबर ने ब्रज मंडल में हो रही हिंसा बंद कराई थी।ब्रज सेवा संस्थान के अध्यक्ष डॉ. गोपाल चतुर्वेदी एवं प्रख्यात बालरोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक अग्रवाल ने कहा कि ठा. श्रीराधा दामोदर मंदिर के अधिष्ठाता श्रील जीव गोस्वामी महाराज ने अपना समूचा जीवन गौडीय संप्रदाय के संरक्षण, संवर्द्धन एवं उन्नयन के लिए समर्पित किया।उन जैसे संतों से ही पृथ्वी पर धर्म व अध्यात्म का अस्तित्व है।
इस अवसर पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि आंदोलन के मुख्य पक्षकार दिनेश शर्मा (फलाहारी), प्रख्यात भागवताचार्य गोपाल भैया, आचार्य ज्ञानसागर महाराज (अहमदाबाद), श्रीकिशोरी मोहन दास बाबा महाराज, श्रीकृष्ण चैतन्य दास बाबा महाराज, संत राजेंद्र महाराज, जगन्नाथ पोद्दार, परमेश्वर दास महाराज, बालशुक पुंडरीक कृष्ण महाराज, युवा साहित्यकार डॉ राधाकांत शर्मा, युगल गोस्वामी, आचार्य दीपक गोस्वामी आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।संचालन डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने किया।धन्यवाद ज्ञापन मंदिर के सेवायत आचार्य करुण गोस्वामी महाराज ने किया।
आचार्य कृष्ण बलराम गोस्वामी व आचार्य पूर्णचंद्र गोस्वामी ने महोत्सव में पधारे सभी आगंतुक संत-विद्वानों का शॉल ओढ़ाकर, ठाकुरजी का पटुका-प्रसादी एवं चित्रपट आदि भेंट करके स्वागत किया।