2022 के पहले दिन ही मोदी सरकार का नया तोहफ़ा- कमरतोड़ महंगाई और मुँह बाये खड़ी बेरोज़गारी- कांग्रेस

2021 के पूरे साल में लगभग 10 प्रतिशत की ऊँची बेरोजगारी दर और आर्थिक मंदी के बीच महंगाई डायन से डार्लिंग बनी हुई है- सुप्रिया श्रीनेत ◆ महंगाई की मार - नये साल का मोदी उपहार- सुप्रिया श्रीनेत

2022 के पहले दिन ही मोदी सरकार का नया तोहफ़ा- कमरतोड़ महंगाई और मुँह बाये खड़ी बेरोज़गारी- कांग्रेस

 लखनऊ 

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमती सुप्रिया श्रीनेत ने प्रेसवार्ता कर मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुआ कहा कि नए साल पर मोदी सरकार ने उपहार स्वरुप गरीब जनता को मंदी, बेरोजगारी और महंगाई की मार दी है। मोदी सरकार ने देश की जनता पर जीएसटी(गब्बर सिंह टैक्स) लगाकर लोगों की कमर तोड़ दी है।

आज नववर्ष 2022 के पहले दिन पर सभी देशवासियों को नव वर्ष की शुभकामनाएं! आपका नया साल मंगलमय हो, आशा, उम्मीद, ऊर्जा से भरा हो।


    सुप्रिया श्रीनेत्र ने कहा हम लोग तो एक दूसरे को बधाई दे रहे हैं, लेकिन ज़रा यह तो देखा जाए कि मोदी सरकार ने देशवासियों के लिए क्या सौग़ात दी है? आख़िर कैसे भारत को सशक्त और समृद्ध बनाया जा रहा है? पर यहाँ तो असलियत कुछ और ही है। इस नए साल में मोदी जी ने ‘महँगाई की मार’ का एक और वार किया है।

   2022 के पहले दिन ही मोदी सरकार का नया तोहफ़ा - कमरतोड़ महंगाई और मुँह बाये खड़ी बेरोज़गारी, 2011 में कांग्रेस सरकार के समय बेरोजगारी दर 2 प्रतिशत थी आज भाजपा सरकार की नौजवान विरोधी नीतियों के चलते 2021 के पूरे साल में लगभग 10 प्रतिशत हो गयी
   10 प्रतिशत बेरोजगारी दर और आर्थिक मंदी के बीच महंगाई डायन से डार्लिंग बनी हुई है।
बड़े बड़े जुमले गढ़ने वाले मोदी जी, क्या इसके लिए भी आपको थैंक यू मोदी जी कहा जाए?
   महंगाई का बोझ बढ़ता जा रहा, नवंबर 2021 में होलसेल प्राईज़ इंडैक्स 14.23 प्रतिशत रहा, जो पिछले 10 सालों में सबसे ज्यादा था,नए साल में इसका प्रभाव बहुत जल्दी महसूस होने लगेगा, इसलिए नए साल में प्रवेश करते हुए हमें हर सामान, चाहे वो दैनिक उपयोग का हो या सुख-समृद्धि का, रोजमर्रा की उपभोक्ता वस्तुएं हों, या स्टील, सीमेंट व बिजली, सब पर हमें और ज्यादा पैसा खर्च करने की तैयारी कर लेनी चाहिए।

    रोजमर्रा के कपड़ों से लेकर जूते-चप्पल या एटीएम से पैसे निकालने तक या फिर टोल टैक्स, हर चीज़ महंगी होने वाली है

1 जनवरी, 2022 से मोदी निर्मित अत्यधिक महंगाई के कारण हमारे जीवन पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव देखिएः-

1. कपड़े होंगे ज्यादा महंगे

फिनिश्ड गुड्स जैसे कपड़े, वस्त्र आदि सभी सामान 1 जनवरी, 2022 से और ज्यादा महंगे हो जाने थे लेकिन कांग्रेस के पुरज़ोर विरोध और चुनावों को मद्देनज़र रखते हुए यह निर्णय अभी टाल दिया गया है, याद रहे यह निर्णय वापस नहीं हुआ है, सिर्फ़ टाला गया है, चुनाव ख़त्म होते ही, असली रंग सामने आ जाएँगे, अब ऐसा कैसे हुआ? केंद्र की भाजपा सरकार इन सामानों पर जीएसटी 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर रही है।

देश के आम आदमी के प्रयोग वाली 1000 रु. तक की कीमत वाले वस्त्रों पर जीएसटी दर को 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया। साथ ही, कपड़ों, बुने हुए वस्त्रों, रूमाल, तौलियों आदि तथा आम लोगों द्वारा सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले होज़ियरी आईटम्स जैसे मोजे, टॉवल, सूती साड़ी, इनर वियर, शर्ट-पैंट तथा सिंथेटिक यार्न, कंबल, टैंट, एवं एक्सेसरीज़ जैसे टेबल पर बिछाने वाले कपड़ों आदि पर भी जीएसटी बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दी गई है।
कांग्रेस पार्टी व कांग्रेस शासित प्रदेशों के विरोध के चलते तथा 5 राज्यों के चुनाव सामने देख अब इस बढ़ोत्तरी को आनन-फानन में 28 फरवरी तक मुल्तवी कर दिया गया है। चुनावों के कारण शायद यह तिथि 1 महीना और बढ़ जाए। गौर रहे कि निर्णय वापस नहीं लिया गया। चुनाव होते ही जनता पर यह टैक्स फिर लगा दिया जाएगा।  

इसका दुष्परिणाम क्या होगा -

◆  जीएसटी बढ़ाए जाने से कपड़ा उद्योग की 15 लाख से ज्यादा नौकरियां समाप्त हो जाएंगी।

◆   देश में वस्त्रों का 80 फीसदी उत्पादन असंगठित क्षेत्र द्वारा किया जाता है। वस्त्रों पर जीएसटी बढ़ाकर 12 प्रतिशत किए जाने से पॉवरलूम एवं हथकरघा बुनकरों के व्यवसाय व रोजगार के अवसर छिन जाएंगे।

◆   कच्चे माल जैसे सूत, पैकिंग सामग्री एवं माल ढुलाई के दामों में अप्रत्याशित वृद्धि से जल्द ही बाजार में कपड़ों के मूल्यों में 15 से 20 प्रतिशत की वृद्धि हो जाएगी। गारमेंट इंडस्ट्री के मुताबिक 85 फीसदी कपड़ों की बिक्री ₹1000 से कम कीमत की होती है

2. जूते-चप्पलों की भी बढ़ेंगी कीमतें
जूते-चप्पलों (प्रति जोड़ा ₹1000 तक की कीमत वाले) पर जीएसटी दर को 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया है। यह गरीब तथा आम जनमानस पर प्रहार है।

3. FMCG ¼Fast Moving Consumer Goods½  उपभोक्ता वस्तुओं में 10 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी

FMCG उपभोक्ता वस्तुओं की कीमत 6 प्रतिशत से 10 प्रतिशत बढ़ेगी। वो डाबर हो, पारले, ब्रिटानिया, मैरिको या अन्य कंपनियां, सबके सब बिस्कुट से लेकर साबुन तक की कीमतें बढ़ा रहे हैं।

4. एटीएम से अपना ही पैसा निकालने के लिए देना होगा और टैक्स
आरबीआई ने निशुल्क ट्रांज़ैक्शन की निर्धारित सीमा पूरी होने के बाद एटीएम से कैश निकालने पर शुल्क बढ़ाने की अनुमति दे दी है। आरबीआई के मुताबिक, निशुल्क ट्रांज़ैक्शन की सीमा पूरी होने के बाद, बैंक अपने ग्राहकों से ₹21 प्रति ट्रांज़ैक्शन शुल्क की वसूली करेंगे।

5. ऑनलाईन टैक्सी/ऑटो रिक्शा की बुकिंग भी अब पड़ेगी जेब पर ज्यादा भारी
ओला और ऊबर जैसे ऐप एग्रीगेटर्स द्वारा ऑटो रिक्शा की राईड्स बुक करने पर ज्यादा पैसे चुकाने के लिए तैयार हो जाईये। 1 जनवरी से सरकार मौजूदा छूट को समाप्त कर ऑनलाइन ऑटो राइड बुक करने पर 5 प्रतिशत का जीएसटी शुल्क वसूलना शुरू कर देगी।
6. कार या ऑटो मोबाइल खरीदना हो जाएगा महंगा

नए साल, 2022 में मारुति सुजुकी, रेनॉल्ट, होंडा, टोयोटा, और स्कोडा सहित लगभग सभी कार एवं ऑटो कंपनियों की कारें खरीदना और ज्यादा महंगा हो जाएगा। लागत बढ़ने के कारण ऑटो कंपनियां कीमतों में बढ़ोत्तरी करेंगी। टाटा मोटर्स ने 1 जनवरी, 2022 से अपने कमर्शियल वाहनों के मूल्य में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि करने की घोषणा कर दी है।

7. सीमेंट की कीमतें बढ़कर हो जाएंगी ₹ 400 प्रति बैग
2021 में भी सीमेंट की कीमतें 15 प्रतिशत - 20 प्रतिशत तक बढ़ीं। हालत यह है कि एक साल पहले तक ₹330/ ₹340 में बिकने वाला सीमेंट का 50 किलो का बैग अब ₹400 पार करने की तैयारी में है।
 
8. स्टील की कीमत भी आसमान पर पहुँची

साल 2020 से दिसंबर 2021 के बीच स्टील की कीमतों में स्टील कंपनियों ने 215 प्रतिशत वृद्धि की। अकेले नवंबर, 2021 में स्टील कंपनियों ने स्टील की कीमत ₹3000- ₹3500 प्रति टन बढ़ाई। कारण - स्टील उद्योग में कंपटीशन खत्म और अब ये मुट्ठीभर कंपनियों के हाथ में है - टाटा स्टील, जिंदल स्टील, आर्सलर मित्तल स्टील। मोदी सरकार की मूक सहमति है, कीमतें बढ़ रही हैं और लोग पिस रहे हैं। 2022 में फिर कीमतें बढ़ाने की तैयारी है।  
 
9. इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक ने शुल्क बढ़ाया

इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक (आईपीपीबी) खाताधारकों को 1 जनवरी से एक विशेष सीमा के ऊपर कैश निकालने या जमा करने के लिए शुल्क देना पड़ेगा। बेसिक बचत खाते से हर माह 4 बार पैसा निकालना निशुल्क होगा। इसके बाद, हर बार पैसा निकालने पर 0.50 प्रतिशत शुल्क अदा करना होगा।

नए साल के इन उपहारों के लिए मोदी जी, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!

जानिए 2014 में सत्ता में आने के बाद, बीते सात सालों में मोदी सरकार ने महंगाई से कैसे आपको लूटा है-

◆   ₹71 प्रति लीटर का पेट्रोल और ₹56 प्रति लीटर का डीज़ल 100 रु. पार कर दिया।
◆   ₹400 का खाना बनाने की गैस का सिलेंडर ₹1000 पार कर दिया।
◆   खाने का तेल ₹90 से बढ़ाकर ₹200 से ₹250 तक कर दिया।
◆   ‘दाल’ के दाम ₹60 प्रति किलो से बढ़कर ₹150 किलो को पार कर गए।
◆  लोग सुकून से एक चाय की प्याली भी नहीं पी सकते। ₹120 किलो की चाय अब ₹300 से ₹400 किलो तक महंगी हो गई है। इतना ही नहीं, जिस जनता का नमक खाकर सत्ता की सौगंध खाई थी, भाजपा के लोगों ने उस नमक के साथ भी धोखा किया। नमक की कीमत भी ₹12 प्रति किलो से बढ़कर ₹22 प्रति किलो तक हो गई है। दाल, चना, राजमा, टमाटर, प्याज, सब्जी - हर खाने-पीने की चीज़ गरीब की थाली से दूर होती जा रही है।

साफ है कि देश की जनता कह रही है-

◆   मोदी है तो महंगाई है।
◆   मोदी सरकार ही महंगाई है।
◆ मोदी और महंगाई, दोनों देश के लिए हानिकारक हैं।