Fastag से फर्जीवाड़े का खुलासा पकड़-में-आए-दो-शातिर-भाई
गाजियाबाद। फास्टैग के जरिए केवल सफर ही आसान नहीं हो रहा, बल्कि फर्जीवाड़े का खुलासा भी हो रहा है।
81 लाख रुपये के रकम हड़पने का मामला
फाइनैंस करवाकर लोन की 81 लाख रुपये के रकम हड़पने का है। शातिरों ने फर्जीवाड़ा करके दोनों ट्रक की नंबर प्लेट और चेसिस नंबर तक बदल दिए। जिसके बाद लोन देने की किश्तें भी जमा करनी बंद कर दीं, लेकिन, फास्टैग से इस फर्जीवाड़े का खुलासा हो गया।
इसके बाद लोन कंपनी की ओर से दोनों शातिरों के खिलाफ साहिबाबाद थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई गई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। बताया गया है कि दोनों की प्लानिंग थी कि लोन वाले ट्रकों को चोरी दिखाकर इंश्योरेंस कंपनी से भी पैसा ले लिया जाए।बिजनौर की धारा मोटर फाइनैंस कंपनी के रीजनल मैनेजर पंकज वर्मा के अनुसार वाईके बिल्डटेक कंपनी की ओर से योगेश कुमार और वीरा इंफ्राटेक की ओर से विशाल कुमार ने दो ट्रक फाइनैंस करवाए थे। कंपनी की ओर से 2021 में योगेश कुमार को 41.20 लाख और विशाल को 40 लाख रुपये फाइनैंस किए गए।
इसके बाद दोनों ने कुछ महीनों की किश्ते कंपनी में जमा कीं, लेकिन फिर किश्त जमा करनी बंद कर दीं। लोन की रकम हड़पने के इरादे से दोनों ने कंपनी के पदाधिकारयों से संपर्क किया और सिबिल खराब होने की बात कहते हुए लोन खातों को बंद करके नए सिरे से दोबारा शुरू करने की मांग की।कंपनी के अधिकारियों ने व्यवहार बनाए रखने के लिए दोनों लोन खाते बंद करके नए खाते खोल दिए।
नए लोन खाते शुरू होने के बाद भी किश्तें जमा नहीं की गईं। फाइनैंस कंपनी की ओर से दोनों भाइयों से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि ट्रक हमारे पास नहीं हैं और हम किश्तें जमा नहीं करेंगे।
फाइनैंस कंपनी ने अपनी ओर से जांच की तो पता चला कि दोनों भाइयों ने ट्रकों के फर्जी कागजात तैयार करवा लिए और उनकी नंबर प्लेट व चेसिस नंबर तक बदल दिए। फर्जी नंबर के आधार पर ट्रक चलाए जा रहे हैं। कंपनी ने पेरिफेल टोल दुहाई पर जांच की गई तो पता चला कि दोनों ट्रकों पर असली नंबरों के आधार पर फैस्ट टैग लगाए गए हैं, लेकिन ट्रकों पर नंबर प्लेट किसी और नंबर की है। अब इस मामले में पंकज वर्मा की ओर से रिपोर्ट दर्ज करवाई गई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
पंकज वर्मा के अनुसार दोनों भाई लोन की रकम हड़पना चाहते हैं। इसके साथ ही फाइनैंस किए गए ट्रकों के जरिए कमाई भी कर रहे हैं। पंकज वर्मा के अनुसार दोनों भाइयों ने लोन की रकम हड़पने और सिबिल खराब होने से बचाने के लिए गारंटर भी बदल दिए थे। इसके अलावा दोनों ट्रक हरियाणा के फर्जी नंबर के जरिए चलाए जा रहे थे।
दोनों ट्रक की ओरिजरल रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट पर कंपनी का नाम है, जिसके चलते ट्रकों को बेचा नहीं जा सकता। आशंका है कि दोनों ट्रक चोरी होने की सूचना दर्ज करवाने का भी प्रयास किया जा सकता है। जिससे कंपनी की फाइनैंस की गई रकम की देनदारी का दबाव खत्म हो सके।पंकज वर्मा के अनुसार फास्टटैग से दोनों ट्रकों के टोल कटने के साक्ष्य कंपनी के पास हैं, जो पुलिस को दिए गए हैं।
टोल बैरियर पर लगे सीसीटीवी कैमरों और टोल पर्ची के जरिए इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। इनके आधार पर ही पुलिस ने जांच के बाद रिपोर्ट दर्ज करके दोनों शातिरों की तलाश शुरू कर दी है।