22 अप्रैल - पृथ्वी दिवस विशेष करेंगे पृथ्वी की रक्षा तभी हमारी सुरक्षा
22 अप्रैल - पृथ्वी दिवस विशेष करेंगे पृथ्वी की रक्षा तभी हमारी सुरक्षा
पृथ्वी दिवस: पृथ्वी को हम सभी माँ कहकर पुकारते
पृथ्वी को हम सभी माँ कहकर पुकारते है। आज उसी माँ का दिवस है - "पृथ्वी दिवस"। समस्त मानव एवं जीव-जंतु जिसकी गोद में अपना संपूर्ण जीवन बिताते है और अंत में उसी में समाहित हो जाते है, उस पृथ्वी के प्रति अपने सच्चे कर्तव्य को निभाने हेतु संकल्प का दिवस हैं - "पृथ्वी दिवस"। यह प्रत्येक वर्ष 22 अप्रैल को मनाया जाता है। अनंत काल से हमारी पृथ्वी पुजीत रही है। माँ स्वरूप में पूजित पृथ्वी को हमसभी अपने पैर से स्पर्श करते है यह हमारी विवशता है।
इसलिए शास्त्रों में सुबह उठते ही देवी पृथ्वी पर पैर रखने से पहले ही उनसे क्षमा मांगने को बताया गया है -
समुद्र-वसने देवि, पर्वत-स्तन-मंडिते।
विष्णु-पत्नि नमस्तुभ्यं, पाद-स्पर्शं क्षमस्व मे॥
अर्थात समुद्र रुपी वस्त्र धारण करने वाली पर्वत रुपी स्तनों से मंडित भगवान विष्णु की पत्नी, हे माता पृथ्वी ! मुझे पाद (पैर) स्पर्श के लिए क्षमा करें।
पृथ्वी दिवस: पर्यावरण की रक्षा एवं सम्मान हमसभी का कर्तव्य
बिना पैर रखे हमसब का कार्य असंभव है परंतु जो इस पृथ्वी पर पर्यावरण है उसको बचाना तो सम्भव है। पर्यावरण की रक्षा एवं सम्मान हमसभी का कर्तव्य रहा है जिसका पालन मानव वर्ग पूर्व से करता भी रहा है। हमारी सभ्यता केवल एक दिन की नहीं बल्कि प्रत्येक दिन इस धरा का पूजन व संरक्षण करने वाली रही है। परन्तु ऐसा क्या हुआ जिसके लिए पृथ्वी के लिए एक खास दिवस मनाने की जरूरत पड़ी, इसका इतिहास जानकर एवं वर्तमान देखकर दुःख होता है।
पृथ्वी व पर्यावरण के प्रति लोग अपने कर्त्तव्यों को दिनोंदिन भूलते गये। अमेरिकी पर्यावरण के चिंता किये बिना बड़े पैमाने पर ऑटोमोबाइल के माध्यम से उच्च मात्रा में सीसा गैस का उपभोग कर रहे थे। वे इस बात की जरा भी चिन्ता नहीं किये की इसका नुकसान प्राणी जगत को कितना भुगतना होगा। लोग जंगलो को अन्धाधुन्ध काटते गये। प्लास्टिक की उपयोगिता लोगों में बढ़ती गयी। इस प्रकार कई अन्य ऐसे कारण रहे जो पर्यावरण को क्षति ही पहुँचाने वाले थे।
पृथ्वी दिवस:कैलिफ़ोर्निया में बड़े पैमाने पर तेल रिसाव की तबाही
1962 में राचेल कार्सन ने इसके विरुद्ध आवाज उठायी विस्कॉन्सिन सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन संयुक्त राज्य अमेरिका में बिगड़ते माहौल को लेकर चिंतित थे। जनवरी 1969 में, उन्होंने और कई अन्य लोगों ने सांता बारबरा, कैलिफ़ोर्निया में बड़े पैमाने पर तेल रिसाव की तबाही भी देखी। पृथ्वी दिवस की स्थापना 1970 में सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन ने ही की थी, जो पृथ्वी पर प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों के बारे में गहराई से चिंतित थे। परन्तु वे इस दिवस को आधिकारिक नाम नहीं दिए थे। नेल्सन ने इस दिवस की शुरूआत पर्यावरण के शिक्षा के रूप में की। वे पर्यावरण को लेकर लोगों में जागरूकता लाने का अथक प्रयास किए।
"पृथ्वी दिवस" या "अर्थ डे" शब्दों को लोगों के बीच सबसे पहले लाने वाले जूलियन कैनिंग थे। 22 अप्रैल जूलियन कैनिंग का जन्म दिवस था। कैनिंग ने अपने जन्मदिवस को "अर्थ डे" के साथ मनाने का फैसला किया। गेलार्ड के पूर्व के अनेक प्रयास व कैनिंग के जन्मदिन - पृथ्वी दिवस को पहली बार सन 1970 में मनाया गया था। आज विश्व के लगभग 193 से अधिक देशों में इस अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी दिवस को मनाया जाता है। इस दिवस को एक वार्षिक कार्यक्रम के रुप में मनाने की शुरुआत पर्यावरणीय सुरक्षा का बेहतर ध्यान देने के लिये, राष्ट्रीय समर्थन प्राप्त करने के लिये प्रारम्भ हुई। पर्यावरणीय मुद्दे के साथ ही युद्ध-विरोधी आंदोलन को नियंत्रित करना, दूसरे जीव-जन्तु के लिये लोगों की जागरुकता बढ़ाने के लिये पृथ्वी दिवस की स्थापना की गयी थी। आज पृथ्वी दिवस विश्व के एक अरब से ज्यादा लोगों द्वारा
पृथ्वी दिवस: एक साथ मनाया जाता है। रेडियोमेट्रिक डेटिंग की जानकारी के अनुसार हमारी पृथ्वी लगभग 4.5 अरब वर्ष पुरानी है।
पृथ्वी दिवस को दुनिया में सबसे बड़े धर्मनिरपेक्ष उत्सव के रूप में व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है। जिसे हर साल मानव व्यवहार को बदलने और वैश्विक, राष्ट्रीय और स्थानीय नीति में बदलाव लाने के लिए कार्रवाई के दिन के रूप में मनाया जाता है।
प्रत्येक वर्ष इस दिवस को मनाने का कुछ विशेष थीम (विषय) होता है । गत वर्ष 2023 में इसका थीम 'हमारे ग्रह में निवेश करें' ( इन्वेस्ट इन आवर प्लेनेट ) था।
वर्तमान वर्ष 2024 के लिए थीम -"ग्रह बनाम प्लास्टिक" ( प्लेनेट वर्सेज प्लास्टिक ) है। इसे 54वीं वर्षगाठ के रूप में इस वर्ष मनाया जा रहा है।
पृथ्वी दिवस: अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर प्रभावशाली बदलावों पर जोर
यह पारिस्थितिक और मानव स्वास्थ्य दोनों की सुरक्षा के लिए प्लास्टिक के उपयोग को कम करने की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालती है। 2024 का थीम 2040 तक प्लास्टिक उत्पादन में 60% की कमी लाना, एकल-उपयोग प्लास्टिक के उन्मूलन और तेजी से फैशन के खिलाफ दृढ़ रुख की वकालत पर ध्यान केंद्रित करने जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं पर आधारित है। पृथ्वी दिवस 2024 प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ लड़ने हेतु प्रतिबद्ध है। यह स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर प्रभावशाली बदलावों पर जोर देने हेतु भी उन्मुख है, जिसमें प्लास्टिक प्रदूषण पर प्रस्तावित संयुक्त राष्ट्र संधि जैसी पहल का समर्थन करना भी शामिल है। कई शहर पृथ्वी दिवस को पृथ्वी सप्ताह के रूप में पूरे सप्ताह के लिए मनाते हैं।
पृथ्वी दिवस: पर्यावरण में ग्रीन हाउस गैसों के बढ़ने से जलवायु आपातकाल की स्थिति
पर्यावरण में ग्रीन हाउस गैसों के बढ़ने से जलवायु आपातकाल की स्थिति बढ़ रही है। बीते वर्षो में हमें चक्रवात, जंगल में आग,गर्म हवाएं, सूखा आदि प्राकृतिक आपदाएं बहुत ज्यादा देखने को मिली है।विश्व के मौसम विज्ञानी तथा जलवायु विज्ञानी मौसम की घटनाओं पर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों को देख रहे है। वे इसकी चिंता से लोगो को अवगत करा रहे हैं। विश्व के कई देशों के युवाओं के द्वारा जलवायु आपातकाल की आवाज उठ रही और इसे समय रहते देश के सरकारों को समझना जरूरी है।
पूरे सौरमण्डल में पृथ्वी ही ऐसा ग्रह हैं जिस पर जीवन संभव हैं। इस ग्रह पर पानी की अधिकता है और पानी की अधिकता के कारण ही इसे "नीला ग्रह" के नाम से भी जाना जाता है। प्रकृति द्वारा हमसब को पहाड़, नदियां, पर्वत, हरे-भरे वन और धरती के नीचे छिपी हुई अन्य-अन्य प्रकार के खनिज संपदा धरोहर के रूप में उपहार स्वरूप प्राप्त हुए हैं। हम सबकी जिम्मेदारी है कि इस सम्पदा को कैसे बचाए अर्थात यह तय करे कि कैसे इसकी रक्षा की जाए।
पृथ्वी दिवस:आज शहरीकरण और औद्योगिक वृद्धि के कारण
आज शहरीकरण और औद्योगिक वृद्धि के कारण वातावरण दिनों दिन प्रदूषित होते चला जा रहा है।कई ऐसे शहर है जहां की एयर क्वालिटी इंडेक्स कभी-कभी इतना बढ़ जाता है की वहां सांस ले पाना मुश्किल हों जाता है।
जल के प्रदूषण के कारण समस्त जल स्रोत नदियां, नहरें, झीलें समस्त भूमिगत जल स्रोत पूरे मानव अस्तित्व को खतरे में डाले जा रहा है। जल प्रदूषण के कारण कई ऐसे शहर है जो बूँद-बूँद पानी को तरस रहे है। अभी बेंगलुरू की तस्वीर देख कर समझा जा सकता है कि पानी को लेकर क्या स्थिति है ? वहाँ लोग नहाने के लिए तो क्या मुँह धोने के लिए तरस तरस गये है। वहाँ 5 रुपये में 20 रुपये प्रति लीटर पानी बिक रहा है। पर्यावरण के दूषित होने से कही अल्पवृष्टि कही अनावृष्टि, देखने को मिल रही है। उद्योगों की स्थापना तथा शहरों, सड़कों, राजमार्गों और बांधों के निर्माण के लिये वनों की काटने से वनस्पति के साथ-साथ जीव जन्तुओं का नाश होता है। इन सबका असर हमारी पृथ्वी पर होता है। हम अपनी मेहनत से धन तो कमा सकते हैं लेकिन प्रकृति की इन धरोहरों का जिनका दिनों-दिन ह्रास हो रहा है अगर समय रहते नहीं बचाये तो जो दुर्दशा हम सबकी हो रही है, उससे भी कही ज्यादा दुर्दशा होनी निश्चित है। हम सब कहते हैं कि हमसब विकास पथ पर बढ़ रहे है परंतु पृथ्वी और पर्यावरण के रक्षा के बिना यह विकास शून्य है। पर्यावरण समस्या से दुःखी होकर हेनरी डेविड के ने कहा-: "भगवान का शुकर है कि इन्सान उड़ नहीं सकता, नहीं तो यह पृथ्वी की तरह आकाश को भी गन्दा कर देता और उसे बर्बादी के कगार तक पंहुचा देता।"
पृथ्वी दिवस: अटल बिहारी वाजपेयी ने भारतीय स्तर पर नदियों को जोड़ने की योजना का ख़ाका बनाया
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारतीय स्तर पर नदियों को जोड़ने की योजना का ख़ाका बनाया। वे जल संरक्षण के साथ-साथ पर्यावरण को कैसे समृद्ध बनाया जाए इसपर भी बल दिए और अन्य कार्य किए।
प्रत्येक वर्ष हम सभी अपना जन्मदिवस हर्ष एवं उल्लास के साथ मनाते है कम से कम अपने जन्मदिवस पर ही सही एक पेड़ अवश्य लगाए। आइये हम सभी इस पृथ्वी दिवस पर यह संकल्प ले की हमसब मिलकर अपने प्राकृतिक विरासत की रक्षा किसी भी कीमत पर करेंगे। दुष्परिणामों से बचने के लिए हम सभी पृथ्वी और पर्यावरण को विवश न करे। सुंदर लाल बहुगुड़ा ने वर्षो पहले इस विरासत को समझते हुए चिपको आंदोलन प्रारम्भ किया था। उस आन्दोलन में अनेक लोगो ने उनका साथ दिया। जंगलो को कटाई से बचाने के लिए लोग पेड़ो से चिपक जाते थे।
कार्बन डाइऑक्साइड के कम से कम उत्सर्जन हेतु भी प्रयास करना होगा। आज भी कई ऐसे पर्यावरण से जुड़े लोग है जो पर्यावरण की महत्ता समझ रहे और इसको बचाने के लिए प्रयासरत है केवल आवश्यकता है कि हमलोग उनका साथ दे।
✍???? राजीव नन्दन मिश्र (युवा कवि व लेखक) सरना, शाहपुर, भोजपुर (आरा) बिहार - 802165