(व्यंग) अनगिनत मनुष्य और कुत्तों की गिनती
राजेश बैरागी- मनुष्य और कुत्ते में से कौन महत्वपूर्ण है? देश में मनुष्यों की गणना का कार्य तीन वर्ष विलंबित हो चुका है।
राजेश बैरागी-
मनुष्य और कुत्ते में से कौन महत्वपूर्ण है? देश में मनुष्यों की गणना का कार्य तीन वर्ष विलंबित हो चुका है। वर्तमान में देश की वास्तविक जनसंख्या के बारे में कोई अधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।परंतु कुत्तों की गणना पर जोर दिया जा रहा है।
मनुष्यों की गणना से उनके लिए आवश्यक नागरिक सुविधाओं की व्यवस्था की जाती है। हालांकि इस प्रकार की गणना का सीधा संबंध चुनाव में मतदान करने योग्य मनुष्यों की पहचान करने से भी है।किसी न्यायालयी या सरकारी आदेश के पालन में सभी स्थानीय निकाय कुत्तों के पंजीकरण पर जोर लगा रहे हैं।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने कुत्ता स्वामियों को प्रेरित करने के लिए पंजीकरण निशुल्क कर दिया है। कुत्तों के मुद्दे पर भिड़े रहने वाले एक पत्रकार साथी प्राधिकरण की इस उदारता से बेहद खफा हैं। उन्होंने प्राधिकरण बोर्ड बैठक के इस फैसले को सिरे से खारिज कर दिया।उनका मानना है कि कुत्ता पालने का शौक रखने वाले लोग गरीब नहीं होते हैं और उनसे पंजीकरण शुल्क अवश्य वसूला जाना चाहिए। हालांकि मैं इस प्रकार के पंजीकरण और वाहनों की प्रदूषण जांच को निशुल्क किए जाने के पक्ष में हूं।
हां, निशुल्क पंजीकरण और निशुल्क जांच न कराने वाले लोगों पर भारी अर्थदंड लगाया जाना चाहिए। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने निःशुल्क पंजीकरण न कराने वाले कुत्ता पालकों पर दो हजार रुपए अर्थदंड लगाने का निर्णय लिया है। क्या यह उचित निर्णय है?
मैं वापस मनुष्यों की जनगणना बनाम कुत्तों के पंजीकरण पर लौटता हूं। कुत्तों के पंजीकरण का मुख्य उद्देश्य उनकी संख्या और नस्ल की जानकारी हासिल करना ही हो सकता है। किसी मनुष्य को काट लेने पर संबंधित कुत्ता पालक के विरुद्ध कार्रवाई करने में आसानी होगी।कुछ दिनों पहले नितीश कुमार व राजद की गठबंधन सरकार ने बिहार में इसी तर्ज पर मनुष्यों की गणना कराई थी।
उसमें मनुष्यों की नस्ल के हिसाब से उनकी अहमियत को आंका गया था। दिल्ली में गठबंधन सरकार में शामिल जदयू पूरे देश में ऐसी ही जनगणना की मांग कर सकता है। नस्ल पहचान कर अहमियत देना, राजनीतिक दलों का पुराना शगल है। स्थानीय निकाय प्रशासन भी उसी की नकल कर रहे हैं। खूंखार किस्म के कुत्तों को पंजीकरण के दौरान शहर से तड़ीपार किया जा सकता है।
इससे कुत्ता पालकों को कष्ट होगा परंतु शहर कुत्तों की दहशत से मुक्त हो सकता है। राजनीति में कुत्तों की दहशत कायम रखने और बढ़ाने का चलन है। भौंकने वाले कुत्तों को विशेष महत्व दिया जाता है। दूसरों को काटने वाले ...... सत्ता के शीर्ष तक जा पहुंचते हैं।(नेक दृष्टि)