ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए परिसंपत्तियों की नई आवंटन दरें तय कर दी हैं।

ग्रेटर नोएडा, 21 अप्रैल ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए परिसंपत्तियों की नई आवंटन दरें तय कर दी हैं।

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए परिसंपत्तियों की नई आवंटन दरें तय कर दी हैं।

ग्रेटर नोएडा, 21 अप्रैल ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए
परिसंपत्तियों की नई आवंटन दरें तय कर दी हैं। अब ग्रेटर नोएडा शहर में मकान, दुकान व प्लॉट


खरीदना महंगा हो गया है। औद्योगिक भूखंड और आईटी पार्क व डाटा सेंटर की दरों में 4.42 फीसदी
का इजाफा कर दिया है। आवासीय, वाणिज्यिक व बिल्डर व संस्थागत की वर्तमान दरों में 15


फीसदी तक का इजाफा किया गया है। नई दरों पर प्राधिकरण बोर्ड ने मुहर लगा दी है।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी ने बताया कि ग्रेटर नोएडा में निवेश के लिए


निवेशक काफी उत्सुक हैं। जमीन की मांग भी काफी बढ़ गई है। निवेशकों को विकसित भूखंड
उपलब्ध कराने के लिए जमीन अधिग्रहण व आधारभूत परियोजनाओं पर तेजी से काम हो रहा है।


विगत स्कीमों में ऑक्शन से प्राधिकरण को बढ़े हुए रेट प्राप्त हुए हैं। रेट रिवाइज का प्रस्ताव तैयार
करने से पहले बाजार दरों का सर्वे कराया गया है,

जिसमें भी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की आवंटन दरें
कम पाई गईं। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए विभिन्न


परिसंपत्तियों की आवंटन दरों में 4.42 फीसदी से लेकर 15 फीसदी तक का इजाफा किया गया है।


सेक्टरों की कैटेगरी व प्लॉट साइज के हिसाब से उसी अनुपात में दरों में वृद्धि की गई है। इसी तरह
धार्मिक स्थल व दूध/सब्जी बूथ आदि की भी श्रेणीवार दरें निर्धारित की गई हैं।


ग्रेटर नोएडा के किसानों को प्राधिकरण बोर्ड ने बड़ा तोहफा दिया है। प्राधिकरण ने आपसी सहमति से


जमीन देने वाले किसानों के लिए वर्ष 2023-24 में मुआवजे/प्रतिकर की मौजूदा दर में 10 फीसदी की
वृद्धि कर दी है। वर्तमान में मुआवजे की दर 3750 रुपये थी, जिसमें 375 रुपये की वृद्धि करते हुए


4125 रुपये तय कर दिया गया है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण बोर्ड के चेयरमैन मनोज कुमार सिंह की
अध्यक्षता में शुक्रवार को संपन्न बोर्ड बैठक में इस पर मुहर लगा दी गई है।


दरअसल, नोएडा एयरपोर्ट का दूसरा चरण, फिल्म सिटी, मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट हब और मल्टी मॉडल
लॉजिस्टिक हब समेत कई बड़ी परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहित करने की प्रक्रिया चल रही


है। औद्यागिक विकास के लिए भी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण 8 नए सेक्टरों को विकसित करने के लिए


प्रयासरत है। इन परियोजनाओं के लिए किसानों से सीधे जमीन खरीदने की प्रक्रिया चल रही है।


किसानों की मांग और जमीन की बाजार दरों में वृद्धि को देखते हुए प्रतिकर की दरों में वृद्धि किया
जाना जरूरी हो गया था।


हाल ही में प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेष्वरी के साथ बैठक में किसानों ने मुआवजे की दर में
वृद्धि की मांग की थी। इसे ध्यान में रखते हुए किसानों से आपसी सहमति से ली जाने वाली जमीन


के प्रतिकर में 10 फीसदी वृद्धि का प्रस्ताव रखा गया। जिस पर प्राधिकरण बोर्ड ने मुहर लगा दी है।
वर्तमान दर 3750 रुपये प्रति वर्ग मीटर थी, जिसमें 375 रुपये की वृद्धि की गई है। अब आपसी


सहमति से जमीन देने वाले किसानों को 4125 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से मुआवजा मिलेगा।


विगत वर्ष भी प्राधिकरण की तरफ से 250 रुपये की वृद्धि की गई थी। प्राधिकरण के इस फैसले का
किसानों स्वागत किया है।

चेयरमैन ने दरों में वृद्धि पर सहमति देते हुए जमीन खरीदने की गति
तेज करने के निर्देश दिए हैं।

नोएडा-ग्रेटर नोएडा के कूड़े को निस्तारित करने के लिए एनटीपीसी का संयुक्त चारकोल प्लांट
लखनावली के बजाय अस्तौली लैंडफिल साइट पर बनेगा। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण बोर्ड ने एनटीपीसी


के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है। यह चारकोल प्लांट 1100 टन प्रतिदिन क्षमता का होगा। नोएडा
प्राधिकरण ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से 30 एकड़ जमीन लगभग 64 करोड़ रुपये की कीमत पर 99


साल की लीज पर लिया है। चारकोल का इस्तेमाल एनटीपीसी खुद से बिजली उत्पादन में करेगा।
इसके साथ ही बायो सीएनजी भी प्लांट भी अस्तौली लैंडफिल साइट पर ही बनेगा।


दरअसल, नोएडा-ग्रेटर नोएडा में कूड़े का वैज्ञानिक पद्धति से निस्तारण के लिए अस्तौली में लैंडफिल
साइट के लिए 134 एकड़ भूमि चिन्हित की गई है। इसकी बाउंड्री भी बन चुकी है। ग्रेटर नोएडा से


संपर्क मार्ग बनाने की प्रक्रिया चल रही है। इस साइट पर नोएडा-ग्रेटर नोएडा के कूड़े को प्रोसेस किया
जाएगा। नोएडा के कूड़े का निस्तारण करने के लिए 134 एकड़ में से 30 एकड़ भूमि लीज पर नोएडा


को दी गई है। इसकी कीमत करीब 64 करोड़ रुपये है। इस साइट पर नोएडा-ग्रेटर नोएडा का संयुक्त
बायो सीएनजी प्लांट लगाया जाएगा, जिसके लिए एवर इनवायरो के साथ अनुबंध किया गया है।


वहीं दूसरी तरफ एनटीपीसी नोएडा-ग्रेटर नोएडा के कूड़े से चारकोल बनाने का प्लांट लगाएगा। अब


तक एनटीपीसी का यह प्लांट ग्रेटर नोएडा के लिए लखनावली में और नोएडा के लिए अस्तौली में
बनाने की योजना थी, लेकिन अब एनटीपीसी के अनुरोध पर यह प्लांट दो जगह बनाने के बजाय


एक जगह कर दिया है। सीईओ रितु माहेश्वरी ने बताया कि अब एनटीपीसी अस्तौली में 1100 टन
प्रतिदिन क्षमता का सूखे कूड़े से चारकोल बनाने का एक ही प्लांट बनाएगा। इसमें 500 टन ग्रेटर


नोएडा और 600 टन नोएडा का कूड़ा होगा। इसके लिए एनटीपीसी और नोएडा प्राधिकरण का अनुबंध


हो चुका है। इन दोनों प्लांट के लगने से नोएडा-ग्रेटर नोएडा को कूड़े के उचित प्रबंधन न होने पाने
की बड़ी समस्या से निजात मिल जाएगी।


आईआईटीजीएनएल की इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप में आवंटित होने वाले औद्योगिक भूखंडों के
अधिक एरिया पर निर्माण करने की उद्यमियों की मांग जल्द पूरी हो सकती है। ग्रेटर नोएडा


प्राधिकरण बोर्ड ने ग्राउंड कवरेज को 35 फीसदी से बढ़ाकर 55 फीसदी करने के प्रस्ताव पर शुक्रवार


को संपन्न बैठक में मुहर लगा दी है। टाउनशिप में औद्योगिक भूखंडों पर ग्राउंड कवरेज होने के
कारण निवेषक इसकी मांग लगातार कर रहे थे।


दरअसल, आईआईटीजीएनएल की इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप में ग्रेटर नोएडा की ही भवन
नियमावली लागू है, जिसके अनुसार टाउनशिप में भूखंड लेने वाले आवंटियों को 35 फीसदी ग्राउंड


कवरेज मिलता है। आईआईटीजीएनएल में अभी भी 16 भूखंड खाली हैं, जिसके लिए निवेशकों के संग


आईआईटीजीएनएल की बैठक भी हुई, लेकिन ग्राउंड कवरेज कम होने के कारण रुचि नहीं दिखा रहे
हैं। इसे देखते हुए भवन नियमावली में संशोधन करने का प्रस्ताव ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की बोर्ड


बैठक में भी रखा गया, जिस पर बोर्ड ने मुहर लगा दी है। आईआईटीजीएनएल की बोर्ड से अप्रूवल

लेकर जनसामान्य से सुझाव व आपत्ति मांगा जाएगा। उनका निस्तारण करने के बाद इसे शासन के
पास भेजा जाएगा। वहां से अप्रूवल के बाद इसे लागू किया जा सकता है।


ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण बोर्ड ने शासन के निर्देश पर गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय को 10 करोड़ रुपये
का भुगतान करने पर मुहर लगा दी है। सीएजी की आपत्ति लगने के बाद नोएडा-ग्रेटर नोएडा


प्राधिकरण ने गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय को अनुदान देने से मना कर दिया था, जिससे गौतमबुद्ध
विश्वविद्यालय के स्टाफ का वेतन व रखरखाव कार्यों में दिक्कत आ रही थी।