बाबा गोपाल दास चैरिटेबल सोसाइटी द्वारा निर्धनों-निराश्रितों को निःशुल्क कंबल वितरित किए गए

वृन्दावन। श्रीजी की रासक्रीडा स्थली सेवाकुंज पर बाबा गोपाल दास चैरिटेबल सोसाइटी, बठिंडा(पंजाब) के द्वारा बाबा गोपाल दास महाराज (लघु सखी) की पुण्य स्मृति में श्रीहित बड़ा रासमण्डल के अध्यक्ष श्रीमहंत लाड़िली शरण महाराज के पावन सानिध्य में संत

बाबा गोपाल दास चैरिटेबल सोसाइटी  द्वारा निर्धनों-निराश्रितों को निःशुल्क कंबल वितरित किए गए

बाबा गोपाल दास चैरिटेबल सोसाइटी, बठिंडा(पंजाब) के द्वारा संतों, ब्रजवासियों व निर्धनों-निराश्रितों को निःशुल्क कंबल वितरित किए गए

वृन्दावन। श्रीजी की रासक्रीडा स्थली सेवाकुंज पर बाबा गोपाल दास चैरिटेबल सोसाइटी, बठिंडा(पंजाब) के द्वारा
बाबा गोपाल दास महाराज (लघु सखी) की पुण्य स्मृति में श्रीहित बड़ा रासमण्डल के अध्यक्ष श्रीमहंत लाड़िली शरण महाराज के पावन सानिध्य में संत, ब्रजवासी, वैष्णव एवं निर्धन निराश्रित आदि को निःशुल्क कंबल वितरित किए गए।

श्रीहित बड़ा रासमण्डल के अध्यक्ष श्रीमहंत लाड़िली शरण महाराज ने कहा कि बाबा गोपाल दास महाराज (लघु सखी) राधा वल्लभ संप्रदाय की बहुमूल्य निधि थे।वे श्रीजी के परम् उपासक व अत्यंत फक्कड़ संत थे।उनके पास जो भी धन उनके भक्तों व शिष्यों के द्वारा आता था,उसे वे निर्धनों व निराश्रितों में खर्च कर दिया करते थे।उन्होंने आजीवन रास्मंडल पर रहकर ही कठोर भगवत साधना की।श्रीराधा दामोदर मंदिर के बड़े गुसाईं कनिका प्रसाद गोस्वामी महाराज ने कहा कि संत प्रवर बाबा गोपाल दास महाराज (लघु सखी) राधा वल्लभ संप्रदाय के गौरव थे।उन्होंने आजीवन सेवाकुंज की नित्य प्रति सोहनी सेवा की।उन जैसे संतों का अब युग ही समाप्त होता चला जा रहा है।


ब्रज सेवा संस्थान के अध्यक्ष डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि संत शिरोमणि बाबा गोपाल दास महाराज (लघु सखी) श्रीधाम वृन्दावन के प्राचीन स्वरूप के परिचायक थे।वे नित्य प्रति यमुना पार स्थित अपनी एक छोटी सी कुटिया में जाकर एकान्त में भगवद् भजन किया करते थे।साथ ही उन्हें पद्य रचना में महारथ हासिल था।उनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और कई प्रकाशनाधीन हैं।

इस अवसर पर किशोर वन के सेवायत आचार्य घनश्याम किशोर गोस्वामी, रमेश कुमार मेहता (बठिंडा), हनीश, अशोक कुमार गर्ग (चंडीगढ़), विजय मेहता (दिल्ली) एवं युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा आदि की उपस्थिति विशेष रही।