मोबाइल का बिल पेट्रोल और टमाटर की याद दिलाने लगा
जियो है, तो क्वालिटी है, इसमें कोई दो राय नहीं। इसी वजह से जियो का सिम करीब-करीब सभी को लेना पड़ गया। अब बची एयरटेल और वोडा-आइडिया, तो इनकी सेवाएं शुरू से ही न सिर्फ महंगी रही हैं, बल्कि सेवाओं में कमियां भी हजार रहीं।
नरविजय यादव
डेटा यदि नये जमाने का पेट्रोल है, तो संचार का बुनियादी ढांचा उसकी पाइपलाइन है। ऐसा कहना है देश में संचार क्रांति लाने वाले मुकेश अम्बानी का। भारत में जब से जियो की सेवा शुरू हुई है, कॉल ड्रॉप और सिग्नल न मिलने की समस्या ही दूर हो गयी। जियो है, तो क्वालिटी है, इसमें कोई दो राय नहीं। इसी वजह से जियो का सिम करीब-करीब सभी को लेना पड़ गया। अब बची एयरटेल और वोडा-आइडिया, तो इनकी सेवाएं शुरू से ही न सिर्फ महंगी रही हैं, बल्कि सेवाओं में कमियां भी हजार रहीं।
भारी कर्ज में डूबी वोडा-आइडिया ने तो पिछले दिनों कई तरह से उपभोक्ताओं को ठगना-लूटना शुरू कर दिया। इसके सिग्नल का यह हाल है कि या तो आपको आवाज नहीं सुनाई देती, या फिर कॉल करने वाला दुखी होकर कहता है कि चलो दूसरे नंबर से ट्राई करते हैं। ऐसे हालात में पहले एयरटेल और बाद में वोडा-आइडिया ने अपने प्रीपेड प्लान 25 प्रतिशत तक महंगे कर दिये। दोनों कंपनियों के बढ़े हुए रेट 25 नवंबर से लागू होने जा रहे हैं। पेट्रोल-डीजल और टमाटर के बढ़ते दामों से तो लोग पहले से ही त्रस्त थे, अब आज से इस सूची में मोबाइल का प्रीपेड रिचार्ज भी शामिल हो गया है।
बुधवार आधी रात से देश के आधे से ज्यादा मोबाइल उपभोक्ताओं को कम से कम 500 रुपये सालाना की चपत लगने जा रही है। आधे से ज्यादा इसलिए क्योंकि टेलीकॉम बाजार में एयरटेल और वोडा-आइडिया की हिस्सेदारी कुल मिलाकर 58.25 प्रतिशत है। दोनों ही कंपनियों ने 25 प्रतिशत दाम बढ़ाये हैं। इन कंपनियों को घाटे से उबरने के लिए ऐसा करना जरूरी हो गया था। जियो का मार्केट शेयर 35.68 प्रतिशत है और अपनी दरें बढ़ाने के बारे में अभी उसने कुछ नहीं कहा है।
जियो के आने के बाद से ही टेलीकॉम सेक्टर में उसका दबदबा कायम हो गया था। वोडाफोन और आइडिया को रणनीति के तहत गठबंधन करना पड़ गया, फिर भी इनका संयुक्त घाटा सरकार की भी चिंता का सबब बन गया। आखिरकार, केंद्र सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों को कर्ज चुकाने के लिए चार वर्ष की राहत की घोषणा कर दी।
देश में इस वक्त 99.56 करोड़, यानी लगभग एक अरब सक्रिय मोबाइल उपभोक्ता हैं। इनमें 60 प्रतिशत उपभोक्ता प्रीपेड सिम वाले हैं। यदि प्रति उपभोक्ता प्रति माह 10 रुपये बढ़ाये जाते हैं तो एयरटेल का सालाना रेवेन्यू लगभग 3000 करोड़ रुपये, वोडा-आइडिया का 2400 करोड़ रुपये और जियो का राजस्व 3700 करोड़ तक बढ़ता है।
हम तो चाहेंगे कि सभी टेलीकॉम प्लेयर तरक्की करें, ताकि बाजार में ग्राहक के लिए अनेक विकल्प मौजूद रहें। परंतु साथ में यह भी उम्मीद करते हैं कि घाटे में चल रही कंपनियां यदि दाम बढ़ाना जरूरी समझती हैं तो उन्हें अपनी सेवा की गुणवत्ता भी सुधारनी चाहिए। वोडा-आइडिया में बिना मांगे आपके मोबाइल पर तरह-तरह की वैल्यू एडेड सर्विसेज चालू करके सारा रिचार्ज हड़प जाने की बीमारी सी चल रही है, जो एकदम नाजायज है और खुली लूट की तरह है। घाटे में होने का मतलब यह तो हरगिज नहीं कि कंपनी आम आदमी को ही लूटने लगे। जियो में मनमानी वसूली की समस्या आज तक नहीं आयी। बल्कि, जियो के आने के बाद मोबाइल की तरफ से एकदम निश्चिंत हो गया हर कोई।
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नरविजय यादव वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार हैं।