वादिये कश्मीर का आभास देता है मध्य प्रदेश में बसा माण्डू

मध्य प्रदेश में स्थित माण्डू का दर्शन वादिये कश्मीर का आभास देता है। यहां हरी-भरी वादियां, नर्मदा का सुरम्य तट ये सब मिलकर माण्डू को मालवा का स्वर्ग बनाते हैं।

वादिये कश्मीर का आभास देता है मध्य प्रदेश में बसा माण्डू

मध्य प्रदेश में स्थित माण्डू का दर्शन वादिये कश्मीर का आभास देता है। यहां हरी-भरी वादियां, नर्मदा का सुरम्य
तट ये सब मिलकर माण्डू को मालवा का स्वर्ग बनाते हैं।

यहां की माटी के बारे में कहा जाता है कि मालवा माटी
गहर-गंभीर। पग-पग रोटी डग-डग नीर। अबुल फजल को माण्डू का मायाजाल इतना भ्रमित करता था कि उन्हें
लिखना पड़ा कि माण्डू पारस पत्थर की देन है। माण्डू ने मुख्य रूप से चार वंशों का कार्यकाल देखा है-परमार काल,
सुल्तान काल, मुगल काल और पॅवार काल।
परमार राजाओं ने बसाया माण्डू
माण्डू को रचने-बसाने का प्रथम श्रेय परमार राजाओं को है। हर्ष, मुंज, सिंधु और राजा भोज इस वंश के महत्वपूर्ण
शासक रहें हैं। किंतु इनका ध्यान माण्डू की अपेक्षा धार पर ज्यादा था, जो माण्डू से महज 30 किलोमीटर है।
परमार वंश के अंतिम महत्वपूर्ण नरेश राजा भोज का ध्यान वास्तु की अपेक्षा साहित्य पर अधिक था और उनके
समय संस्कृत के महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे गए। उनकी मृत्यु पर लेखकों ने यह कहकर विलाप किया कि अब सरस्वती
निराश्रित हो गई हैं।
अद्य धारा निराधारा निरालंबा सरस्वती
सुल्तानों के काल में यहां महत्वपूर्ण निर्माण हुए। दिलावर खां गोरी ने इसका नाम बदलकर शादियाबाद (आनंद
नगरी) रखा। होशंगशाह इस वंश का महत्वपूर्ण शासक था।

मुहम्मद खिलजी ने मेवाड़ के राणा कुम्भा पर विजय के
उपलक्ष्य में अशर्फी महल से जोड़कर सात मंजिला विजय स्तंभ का निर्माण कराया (अब इसकी केवल एक ही
मंजिल सलामत है)। हालांकि यह तथ्य विवादित है क्योंकि राणा कुम्भा ने भी मुहम्मद खिलजी पर विजय की
स्मृति में चित्तौड़ के विश्व प्रसिद्ध विजय स्तंभ का निर्माण कराया था।

आमतौर पर इतिहासकार मानते हैं कि राणा
ने खिलजी को बंदी बनाया था और माफी पर उसे छोड़ा था। फिर भी फरिश्ता जैसे इतिहासकार मुहम्मद खिलजी
की वीरता की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हैं। वह लिखता है कि खिलजी हमेशा युद्ध में रहता है। अशर्फी महल का
निर्माण मदरसे के तौर पर हुआ था और उसके कई कमरे आज भी काफी अच्छी अवस्था में हैं।


गयासुद्दीन इस वंश का अगला शासक था। फरिश्ता के अनुसार उसकी 15000 बेगमें थीं। माण्डू में उसने शाही
महल का निर्माण अपनी बेगमों के लिए कराया। 500 अरबी और 500 तुर्की महिलाएं उसकी अंगरक्षक होती थी।


जहांगीर के अनुसार उसने संपूर्ण नगर ही बेगमों के लिए सजाया था। अगले शासक नासिरुद्दीन ने रूपमती-
बाजबहादुर का महल बनवाकर उनके प्रेम कथानक को अमर बनाया। जब हिंदुस्तान के तख्तोताज पर अकबर
जलवाफरोज हुआ तो उसने माण्डू की ओर विशेष ध्यान दिया।

उसने अशर्फी महल का जीर्णोद्वार कराया। जहांगीर
को माण्डू की रातें बेहद पसंद थीं। वह कई बार माण्डू आया और उसने जहाज महल का जीर्णोद्वार कराया।

सन
1617 में जहांगीर जब माण्डू आया तो नूरजहां उसके साथ थी और उसने जलमहल में एक लड़की को जन्म दिया।
सम्राट जहांगीर ने इसी अवसर पर सर टामस को रो को प्रसव चिकित्सा के लिए माण्डू आमंत्रित किया था और इस
चिकित्सा से खुश होकर उसने अंग्रेजों को व्यापार की अनुमति दी थी।