Tag: यौवन को बुढ़ापे के संदर्भ में और पूरे जीवन को मौत के संदर्भ में देखना चाहिए।हमारी बहुत सारी सफलताएं और असफलताएं हमारी दृष्टि पर निर्भर हैं। दृष्टि किससे प्राप्त होती है? दृष्टि अभ्यास से प्राप्त होती है। दृष्टि प्राप्त

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जीवन के स्वर्णिम सूत्र" पर गोष्ठी सम्पन्न

सकारात्मक सोच राह आसान करती है -आचार्य ब्रह्मदेव वेदालंकार