केरल में प्लास्टिक कचरा बीनने वाली महिलाओं ने जीता 10 करोड़ रूपये का जैकपॉट

मलप्पुरम (केरल), 28 जुलाई स्थानीय नगर पालिका की प्लास्टिक कचरा बीनने वाली इकाई में काम कर रही ग्यारह महिला कामगारों को कभी यह सपने में भी उम्मीद नहीं रही होगी जिस लाटरी टिकट को उनमें से प्रत्येक ने 25 रूपये से भी कम धन देकर खरीदा था,

केरल में प्लास्टिक कचरा बीनने वाली महिलाओं ने जीता 10 करोड़ रूपये का जैकपॉट

मलप्पुरम (केरल), 28 जुलाई  स्थानीय नगर पालिका की प्लास्टिक कचरा बीनने वाली इकाई
में काम कर रही ग्यारह महिला कामगारों को कभी यह सपने में भी उम्मीद नहीं रही होगी जिस लाटरी


टिकट को उनमें से प्रत्येक ने 25 रूपये से भी कम धन देकर खरीदा था, वह उन्हें 10 करोड़ रूपये का
जैकपॉट दिलवा देगी।


इन 11 महिलाओं ने कुल 250 रूपये देकर लाटरी का टिकट खरीदा था। बुधवार को जब यह खबर आई


तो उस समय ये 11 महिलाएं अपने हरे ओवरकोट और रबर के दस्ताने पहने हुए थीं और परप्पनंगडी
नगरपालिका गोदाम में घरों से एकत्र किए गए प्लास्टिक कचरे को अलग कर रही थीं।

केरल लॉटरी विभाग ने घोषणा की कि महिलाओं द्वारा पैसे इकट्ठा करने के बाद खरीदे गए टिकट पर
उन्हें मानसून बंपर के रूप में 10 करोड़ रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा। इन महिलाओं के पास इतनी


सामर्थ्य नहीं थी कि उनमें से कोई अकेले ही 250 रूपये का लाटरी का टिकट खरीद सके।


लॉटरी विजेताओं से मिलने और उन्हें बधाई देने के लिए बृहस्पतिवार को बड़ी संख्या में लोग यहां नगर
निगम गोदाम परिसर में उमड़ पड़े।

विजेताओं में से एक राधा ने कहा ”जब हमें अंतत पता चला कि हमने जैकपॉट हासिल कर लिया है तो


हमारे उत्साह और खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। हम सभी जीवन में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं
और यह पैसा कुछ हद तक हमारी समस्याओं को हल करने में मदद करेगा।”


परप्पनंगडी नगर पालिका द्वारा शुरू की गई हरित पहल- हरित कर्म सेना के तहत कार्यरत इन
महिलाओं को उनके काम के अनुसार 7,500 रुपये से 14,000 रुपये के बीच वेतन मिलता है।


हरित कर्म सेना घरों और प्रतिष्ठानों से जैविक रूप से अपघटित नहीं होने वाले कचरे को इकट्ठा करती
हैं जिसे बाद में पुनर्चक्रण के लिए विभिन्न इकाइयों में भेजा जाता है।


नगर पालिका में हरित कर्म सेना की अध्यक्ष शीजा ने कहा कि भाग्य ने इस बार सबसे योग्य लोगों पर
कृपा की है।

उन्होंने कहा कि सभी पुरस्कार विजेता बहुत मेहनती हैं और अपने परिवार के भरण-पोषण
करती हैं।

उन्होंने बताया कि इनमें से कई लोगों को कर्ज चुकाना है, बेटियों की शादी करनी है या अपने प्रियजनों
के इलाज का खर्च उठाना है।

उन्होंने कहा कि वे सब बहुत ही साधारण घरों में रहती हैं और जीवन की
कठोर वास्तविकताओं से जूझ रही हैं।

दिलचस्प बात है कि यह दूसरी बार है जब महिलाओं ने टिकट खरीदने के लिए आपस में पैसे जुटाए थे।
विजेताओं में से एक महिला ने कहा ”हमने पिछले साल भी इसी तरह पैसा इकट्ठा करने के बाद ओणम


बंपर खरीदा था और 7,500 रुपये जीते थे। हमने राशि को आपस में बराबर-बराबर बांट लिया था। इससे
हमें इस साल मानसून बंपर टिकट खरीदने का हौसला मिला।”