प्रशासन के आदेश हवा हवाई।तहसील मिश्रिख में प्राइवेट कर्मियों की भरमार

सीतापुर। प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश के अनुपालन में जिलाधिकारी सीतापुर के द्वारा जारी किया गया आदेश को उनके अधीनस्थ विभागों के द्वारा हवा में उछाला जा रहा है।

प्रशासन के आदेश हवा हवाई।तहसील मिश्रिख में प्राइवेट कर्मियों की भरमार

सीतापुर। प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश के अनुपालन में जिलाधिकारी सीतापुर के द्वारा जारी किया गया आदेश को उनके अधीनस्थ विभागों के द्वारा हवा में उछाला जा रहा है।


     जिलाधिकारी सीतापुर ने कार्यभार ग्रहण करने के कुछ समय बाद एक आदेश जारी किया था कि किसी भी विभाग में प्राइवेट कर्मचारी को नहीं लगाया जाएगा कर्मचारी अधिकारी स्वयं अपने कार्य को निष्पादित करेंगे एवं संबंधित विभाग के मुखिया इस आशय का प्रमाण पत्र जिलाधिकारी कार्यालय में प्रस्तुत करेंगे कि अब उनके कार्यालय में किसी भी पटल पर प्राइवेट कर्मचारी मौजूद नहीं है और उनसे कोई कार्य नहीं लिया जा रहा है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ प्राइवेट हैण्डों के अभाव में तहसील मिश्रिख अपने को अपाहिज महसूस कर रहा है यहां प्रत्येक पटल पर प्राइवेट कर्मचारी तैनात हैं।


     नाम न छापने पर विभागीय कर्मचारियों के मुताबिक शासन का आदेश आने के बाद सबसे ज्यादा वे लोग परेशान हैं, जो खुद मौज करते हैं और अपना पूरा काम प्राइवेट कर्मियों से कराते हैं। यहां तक कि अवैध लेन देन के काम तक उन्हीं के जरिये होते हैं। अब ऐसे लोग प्राइवेट कर्मचारियों के मोबाइल पर आदेश की प्रति भेजकर उन्हें कुछ दिन तक दफ्तर न आने के लिए कह रहे हैं। वहां  पहुंचने पर  सूर्य प्रकाश शुक्ल ने बताया खतौनी  कक्ष   काउंटर पर मौजूद अमरेंद्र कुमार, बीस रूपये प्रति पीस खतौनी के लेते हैं जबकि खतौनी का सरकारी मूल्य पन्द्रह रुपए पीस  निर्धारित है।


   आप को बता दें,सरकारी कार्यालयों में प्राइवेट कर्मचारियों से काम कराने पर शासन ने पाबंदी लगा दी है। शासन ने कमिश्नर और डीएम को पत्र भेजकर सरकारी कार्यालयों में प्राइवेट कर्मचारियों के प्रवेश पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं। इस आदेश का सख्ती से पालन न करने पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी है। आदेश आने के बाद  भी तहसील मिश्रिख  में प्राइवेट कर्मचारियों की भरमार है।


    सरकारी कार्यालयों में अफसरों ने निजी कर्मचारियों को रख रखा हैं, जो उनके सारे कामकाज करते हैं। कई विभागों में तो प्राइवेट कर्मी महत्वपूर्ण कार्यों की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं। इससे गोपनीय जानकारियां बाहर जाने से उनका गलत इस्तेमाल की आशंकाएं रहती हैं। लिहाजा अपर भूमि व्यवस्था आयुक्त अनिल कुमार यादव ने सरकारी दफ्तरों में प्राइवेट कर्मियों से काम कराने पर रोक लगाने के आदेश कमिश्नर और डीएम को जारी किए हैं।  कुछ दिन पूर्व आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि मंडल, कलेक्ट्रेट, तहसील कार्यालयों में कर्मचारी सरकारी कार्य कराने में प्राइवेट कर्मियों की मदद ले रहे हैं। इससे विभाग में भृष्टाचार और अनियमितताएं होने की शिकायतें  लगातार हो रही हैं।


   अब देखना यह है कि क्या प्राइवेट कर्मियों पर लगाम लगेगी या फिर सचिव का आदेश हवा हवाई ही रहेगा।