यमुना एक्सप्रेसवे पर हुए हादसे में कार सवार परिवार के सात सदस्यों समेत आठ की हुई मौत - सात दिन बाद भी आरोपी चालक और वाहन का सुराग नहीं
यमुना एक्सप्रेसवे पर 20 अक्तूबर की देर रात हुए हादसे का कोई चश्मदीद पीड़ित नहीं बचा। हादसे में घायल एक और मासूम आयुष (8) ने दिल्ली के अस्पताल में उपचार के दौरान बृहस्पतिवार को दम तोड़ दिया।
ईको हादसे में नहीं बचा कोई चश्मदीद, एक और मासूम ने तोड़ा दम
यमुना एक्सप्रेसवे पर 20 अक्तूबर की देर रात हुए हादसे का कोई
चश्मदीद पीड़ित नहीं बचा। हादसे में घायल एक और मासूम आयुष (8) ने दिल्ली के अस्पताल में
उपचार के दौरान बृहस्पतिवार को दम तोड़ दिया। हादसे में जान गंवाने वालों की संख्या आठ हो गई है।
इनमें एक ही परिवार के सात लोग शामिल हैं। वहीं एक सप्ताह बाद भी पुलिस हादसे का कारण बने
वाहन और उसके चालक की पहचान और गिरफ्तारी नहीं कर पाई है।
दिल्ली निवासी बिजेंद्र बैठा (36) रिश्तेदार की मौत की खबर सुनकर 20 अक्तूबर झारखंड जा रहे थे।
यमुना एक्सप्रेसवे पर जीरो प्वाइंट से 25 किमी पर रबूपुरा क्षेत्र में फलैदा कट के पास उनकी ईको कार
किसी वाहन से टकरा गई थी। टक्कर इतनी तेज थी कि कार बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। हादसे में ईको
में सवार दंपती बिजेंद्र , पत्नी कांति देवी (30), बेटी ज्योति (12), बड़े भाई रामप्रीत (38), दोस्त सुरेश
(45) की मौके पर मौत हो गई। जबकि बुरी तरह घायल बिजेंद्र के बेटे आयुष (8), आर्यन (10) और
भतीजे सूरज (16) को जेवर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां से तीनों घायलों को
दिल्ली रेफर किया गया। जहां पहले आर्यन, फिर सूरज और इसके बाद अब आयुष ने दम तोड़ दिया।
फलैदा कट के पास से कहां गया वाहन और चालक
हादसे के दौरान ईको की रफ्तार 119 किमी थी।
हालांकि हादसे का कारण डिवाइडर के करीब ओवरटेकिंग
लाइन में धीमी रफ्तार से चल रहे या खड़े वाहन को माना जा रहा है। अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया
है कि वह वाहन ओवरटेकिंग लाइन क्यों था। ईको कार जिस वाहन में टकराई उसके अंदर घुस गई।
इसके बावजूद चालक वहां से वाहन लेकर भागने में कामयाब हो गया। पुलिस अब तक इस वाहन की
पहचान नहीं कर पाई है। क्षतिग्रस्त कार के तकनीकी मुआयने के बावजूद हादसे का ठोस कारण पता
नहीं चल पाया है।