गीता कॉलोनी अग्नि कांड की आंखोंदेखी

दिल्ली के गीता कॉलोनी में बिल्डिंग में लगी आग से चार लोगों की मौत हो गई। आग पूरी बिल्डिंग में लगी थी। इस बिल्डिंग में 40 लोग रहते हैं। आग बिल्डिंग की पार्किंग में लगी। बिल्डिंग में रहने वाले लोगों ने पूरी घटना की आपबीती बताई है।

गीता कॉलोनी अग्नि कांड की आंखोंदेखी


 दिल्ली के गीता कॉलोनी में बिल्डिंग में लगी आग से चार लोगों की मौत हो गई। आग पूरी बिल्डिंग में लगी थी। इस बिल्डिंग में 40 लोग रहते हैं। आग बिल्डिंग की पार्किंग में लगी।

बिल्डिंग में रहने वाले लोगों ने पूरी घटना की आपबीती बताई है। गीता कॉलोनी की इमारत में ग्राउंड फ्लोर की पार्किंग में जिस वक्त आग लगी, तब 50 गज में बने बच्चा फ्लैट में रहने वाला पीड़ित परिवार आग और धुएं के बीच फंस गया। जानकारी के मुताबिक, पार्किंग में आग की लपटें थीं और चारों तरफ धुआं था। डर के कारण फ्लैट में रहने वाले मनोज और सुमन ने खुद को कमरे के अंदर बंद कर लिया। बच्चे भी कमरे के अंदर ही रह गए।

जब तक दमकलकर्मी और पुलिसवाले उन्हें बाहर निकाल पाते परिवार के चार लोगों की मौत हो गई। पहली और दूसरी मंजिल पर रहने वाले सात से अधिक लोग भी हादसे में जख्मी हो गए। यह मकान 111 गज में बना है। इसमें पहली, दूसरी] तीसरी और चौथी मंजिल पर दो बीएचके के 8 फ्लैट बने हुए हैं। जबकि ग्राउंड फ्लोर पर दो कमरे का बच्चा फ्लैट बना हुआ है। बिल्डिंग में 40 के करीब लोग रहते हैं। मकान मालिक तीन भाई हैं।

सबसे बड़े भाई की मौत हो चुकी है। दूसरे भाई कमल तीसरी मंजिल पर परिवार के साथ रहते हैं। दूसरी मंजिल पर उनके छोटे भाई डोरी लाल अपने परिवार के साथ रहते हैं। वहीं चौथी मंजिल पर उनके बड़े भाई की पत्नी मीना देवी अपने बेटों के साथ रहती हैं। यह सभी बिल्डिंग की आगे की साइड में रहते हैं। जबकि मकान के पीछे वाली साइड में किराएदार रहते हैं। वहीं बच्चा फ्लैट में मनोज उनकी पत्नी सुमन रहती थीं। उनके साथ उनके बड़े भाई राकेश, भाभी और दो भतीजी भी रहती थीं। राकेश और मनोज एक फैक्ट्री में काम करते थे। पीड़ित परिवार मूलरूप से बिहार का रहने वाला है।


मकान मालिक कमल सिंह ने बताया कि वह एक इंश्योरेंस कंपनी में काम करते हैं। हादसा सुबह हुआ, सभी फ्लैट में रहने वाले लोग सोए हुए थे। उनकी पत्नी बबीता की नींद खुली तो पता चला कि आग लग गई है। चारों तरफ शोर और चीख-पुकार मची हुई थी। आग की लपटें दूसरी फ्लोर तक पहुंच गई थीं।

जब उन्होंने दरवाजा खोला तो चारों तरफ धुआं था। धुएं के कारण कमरे का दरवाजा भी नहीं खोल पा रहे थे। तब वह अपनी पत्नी और दो बेटे 13 वर्षीय कार्तिक और 11 वर्षीय देव, रिश्तेदार रजनी और बुलबुल को लेकर छत पर भाग गए। इस दौरान उनके दोनों बेटे, रजनी और बुलबुल भी जख्मी हो गए। उन्हें भी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। हालत खतरे से बाहर है। दूसरी मंजिल पर उनके छोटे भाई डोरी लाल रहते हैं,

जो डीटीसी में कंडक्टर हैं। उनके परिवार में उनकी पत्नी, 8 साल का बेटा जागरिक और 9 महीने का बेटा जतिन है। दोनों बच्चे भी जख्मी बताए जा रहे हैं। चौथी मंजिल पर रहने वाली उनकी भाभी मीना भी अपने बेटे सोनू के साथ छत पर चली गई थीं। पहली मंजिल पर रहने वाले आकिब अपनी पत्नी और ढाई महीने की बेटी आफरा के साथ रहते हैं। आफरा की हालत गंभीर बताई जा रही है। इसी मंजिल पर रहने वाली मीरा अग्रवाल, उनके पति अशोक अग्रवाल के अलावा प्रशांत नाम का शख्स भी आग और धुएं के कारण जख्मी हो गए।


मकान मालिक कमल ने बताया कि करीब चार महीने पहले मनोज, उनके बड़े भाई राकेश उनकी पत्नी और दोनों बच्चे यहां किराए पर रहने के लिए आए थे। तीन महीने पहले की मनोज की न्यू लाहौर कॉलोनी में रहने वाली सुमन से शादी हुई थी। मकान मालिक ने बताया कि 2020 के आखिर में ही बिल्डिंग बनी थी। पड़ोस में रहने वाले लोगों ने बालू और पानी फेंककर आग बुझाने की कोशिश भी की। डीसीपी सुरेंद्र चौधरी ने बताया कि लापरवाही से मौत (304ए) समेत कई धाराओं में केस दर्ज किया है। फिलहाल किसी को नामजद नहीं किया गया है।

जांच में जिसकी भूमिका मिलेगी, उसे आरोपी बनाया जाएगा। फरेंसिक साइंस लैब (FSL) की शुरुआती छानबीन में बिजली के तारों में स्पार्किंग होने से आग लगने की बात सामने आई है। इसकी चपेट में आने से एक कार, चार टूवीलर, एक साइकल और ठेला जल गए। बच्चा फ्लैट बनाना कानूनन अपराध है। लेकिन, पैसा कमाने के लालच में लोग पार्किंग वाले बचे हिस्से में कमरे बना देते हैं और किराए पर दे देते हैं। फ्लैट छोटा होता है, इसलिए उसे बच्चा फ्लैट कहा जाता है।

कैसे रुकेंगे ऐसे हादसे?हाल के वर्षों में बिल्डर फ्लैट्स की स्टिल्ट पार्किंग में आग लगने के बड़े हादसे हुए हैं। अधिकतर मामलों में यही पाया गया है कि पार्किंग में बिजली के मीटर लगते हैं, वहीं गाड़ियां पार्क होती हैं और वहीं से ही बाहर निकलने का ही रास्ता होता है। मीटर स्पार्किंग से आग लगती है और बड़ा हादसा हो सकता है। ऐसे हादसे रोकने के लिए जरूरी है कि बिजली के मीटर पार्किंग से बाहर लगाने के नियम का सख्ती से पालन हो और दूसरे पार्किंग में किसी तरह का अवरोध यानी कि गैरकानूनी तरीके से कमरे आदि का निर्माण न हो।

यही नहीं, ये भी सुनिश्चित होना चाहिए कि जिस घर में जितनी क्षमता का बिजली का कनेक्शन हो, उससे अधिक के उपकरण न चलें। इससे तारों में आग लगने या स्पार्किंग के खतरे को न्यूनतम किया जा सकेगा।