Dnd-flyway टोलमुक्त बना रहेगा : न्यायालय
नोएडा-डायरेक्ट (डीएनडी) फ्लाईवे पर टोल वसूली के संबंध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2016 केआदेश को चुनौती देने वाली एक निजी कंपनी की याचिका को शुक्रवार को खारिज करते हुए फैसलासुनाया कि डीएनडी फ्लाईवे टोलमुक्त रहेगा।
Dnd-flyway टोलमुक्त बना रहेगा : न्यायालय
उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली को नोएडा से जोड़ने वाले दिल्ली-नोएडा-डायरेक्ट (डीएनडी) फ्लाईवे पर टोल वसूली के संबंध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2016 केआदेश को चुनौती देने वाली एक निजी कंपनी की याचिका को शुक्रवार को खारिज करते हुए फैसलासुनाया कि डीएनडी फ्लाईवे टोलमुक्त रहेगा।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में निजी कंपनी को डीएनडी फ्लाईवे पर यात्रियों से टोलवसूली बंद करने का आदेश दिया था।इस निर्णय से फ्लाईवे पर प्रतिदिन आवागमन करने वाले लाखों लोगों को लाभ होगा।न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि डीएनडी फ्लाईवे से यात्राकरने वाले यात्रियों से टोल वसूलने के लिए निजी कंपनी नोएडा टोल ब्रिज कंपनी लिमिटेड(एनटीबीसीएल) को ठेका देना अन्यायपूर्ण, अनुचित और मनमाना है।पीठ ने कहा, ‘‘(अब) उपभोक्ता या टोल शुल्क वसूली जारी रखने का कोई कारण नहीं है।
हम मानतेहैं कि (टोल संग्रह के लिए)समझौता अवैध है।’’उच्चतम न्यायालय ने निजी कंपनी एनटीबीसीएल को टोल संग्रह सौंपने के लिए नोएडा प्राधिकरण कीखिंचाई की, जबकि एनटीबीसीएल के पास पूर्व में टोल संग्रह का कोई अनुभव नहीं है। न्यायालय ने
कहा कि इससे अनुचित लाभ हुआ है।पीठ ने कहा कि नोएडा ने शुल्क एकत्र करने या लगाने का अधिकार एनटीबीसीएल को सौंपकर अपनेअधिकार का अतिक्रमण किया है और इससे आम जनता को करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है।
अक्टूबर 2016 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि 9.2 किलोमीटर लंबे, आठलेन वाले डीएनडी फ्लाईवे का इस्तेमाल करने वालों से अब से कोई टोल नहीं वसूला जाएगा। यहआदेश उच्च न्यायालय ने फेडरेशन ऑफ नोएडा रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन की जनहित याचिकाको स्वीकार करते हुए पारित किया था।वर्ष 2012 में दायर जनहित याचिका में ‘‘नोएडा टोल ब्रिज कंपनी द्वारा उपभोक्ता शुल्क के नाम परटोल संग्रह और वसूली’’ को चुनौती दी गई थी।उच्च न्यायालय ने 100 से अधिक पन्नों के फैसले में कहा था,
‘‘जो उपभोक्ता शुल्क लगाया जा रहाहै/वसूला जा रहा है, वह कानूनी प्रावधानों के अनुरूप नहीं है।’’उच्च न्यायालय ने कहा था कि निजी कंपनी को जो अधिकार दिया गया है वह उत्तर प्रदेशऔद्योगिक विकास अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत है।