पंडित राम प्रसाद बिस्मिल विषय पर डॉ अमरनाथ अमर की अध्यक्षता में संगोष्ठी का आयोजन
पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के बलिदान दिवस पर कलम से क्रांति तक -पंडित राम प्रसाद बिस्मिल विषय पर डॉ अमरनाथ अमर की अध्यक्षता में संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
पंडित राम प्रसाद बिस्मिल विषय पर डॉ अमरनाथ अमर की अध्यक्षता में संगोष्ठी का आयोजन
सुभाष वशिष्ठ विशेष संवाददाता आज का मुद्दा
हिंदी अकादमी दिल्ली द्वारा दिनांक 19 दिसंबर 2024 को अपराह्न 3:00 बजे से महान क्रांतिकारी एवं लेखक पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के बलिदान दिवस पर कलम से क्रांति तक -पंडित राम प्रसाद बिस्मिल विषय पर डॉ अमरनाथ अमर की अध्यक्षता में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के वक्ताओं के रूप में डॉ वेद मित्र शुक्ल, श्री अरविंद पथिक, श्री अजय मिश्र एवं सुश्री रत्नमणि तिवारी द्वारा अपने-अपने वक्तव्य प्रस्तुत किए गए।
हिंदी अकादमी के सचिव श्री संजय कुमार गर्ग की प्रेरणा से आयोजित इस संगोष्ठी का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। अपने अध्यक्षीय भाषण मैं श्री अमरनाथ 'अमर' ने कहा, राम प्रसाद बिस्मिल अंग्रेजों के शोषण और उत्पीड़न तथा अत्याचार के खिलाफ उठ खड़े हुए थे। उनका केवल बलिदान दिवस ही नहीं उनकी जयंती भी मनाई जानी चाहिए।
रत्नमणि तिवारी ने रामप्रसाद बिस्मिल की कविताओं को स्मरण करते हुए कहा,
ऐ मातृभूमि तेरी जय हो, सदा विजय हो
प्रत्येक भक्त तेरा, सुख-शांति-कान्तिमय हो
अज्ञान की निशा में, दुख से भरी दिशा में
संसार के हृदय में तेरी प्रभा उदय हो।
श्री वेद मित्र शुक्ल ने कहा, 30 वर्ष की आयु में ही इस महान क्रांतिकारी को अंग्रेजों द्वारा फांसी दे दी गई। देश ऐसे क्रांतिकारी के बलिदान को हमेशा याद रखेगा।श्री अजय मिश्रा ने कहा, बिस्मिल कविताओं और ग़ज़लों के माध्यम से भी क्रांति का बिगुल फूंकते रहते थे। श्री अरविन्द पथिक ने कहा प.राम प्रसाद बिस्मिल को क्रांतिकारी कार्रवाइयों के अलावा अपनी काव्यात्मक गहराई के लिए भी जाना जाता है। उनके शब्दों ने भारत की कई पीढ़ियों को प्रेरित किया है। अतिथि के रूप में पधारे रेल मंत्रालय के निदेशक राजभाषा, वरुण कुमार ने पं. राम प्रसाद बिस्मिल की रचनाओं का संगीतमय पाठ करके सभी का मन मोह लिया।
कार्यक्रम के अंत में अकादमी के उपसचिव ऋषि कुमार शर्मा ने सभी अतिथियों, वक्ताओं व संगोष्ठी में उपस्थित छात्रों और शोधर्थियों का धन्यवाद करते हुए कहा, अपनी पीढ़ी के कई युवाओं की तरह, प.राम प्रसाद बिस्मिल भी उन कठिनाइयों से परेशान थे जिनका आम भारतीयों को अंग्रेजों के हाथों सामना करना पड़ता था। इसलिए उन्होंने बहुत कम उम्र में ही अपना जीवन देश की आज़ादी की लड़ाई में समर्पित करने का फैसला कर लिया था। और ऐसी ही देशभक्ति की भावना आज़ की युवा पीढ़ी में भी होनी चाहिए।
दर्शकों से भरे सभागार में हिंदी के अनेक लेखक, पत्रकार, शोधार्थी, छात्र और कवि उपस्थित थे जिनमें प्रोफ. रवि शर्मा मधुप डॉ. सुधा शर्मा,लता दीक्षित,पंडित साहित्य चंचल, नेहा गुप्ता, कामना झा, पत्रकार असज़ रज़ा,अर्जुन पाण्डेय,सोनी सुगंधा,ब्रह्मदेव शर्मा,रत्नेश अवस्थी,वंदना चौधरी,शैल भदावरी, मनोज श्रीवास्तव , वरुण कुमार,निदेशक राजभाषा ,साहित्यकार रजनीकांत शुक्ल आदि शामिल थे। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।