धनखड़ के फैसलों से बढ़ेगी भाजपा की मुश्किलें

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी और राज्यपाल जगदीप धनखड़ का वर्षों पुराना विवाद अब चरम पर आ गया है। 12 फरवरी को राज्यपाल महोदय ने बिना विधानसभा के प्रस्ताव लिए 6सत्रावसन कर, विधानसभा की अधिकारिक संवैधानिक विवाद में डालने का कार्य किया है।

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी और राज्यपाल जगदीप धनखड़ का वर्षों पुराना विवाद अब चरम पर आ गया है।
12 फरवरी को राज्यपाल महोदय ने बिना विधानसभा के प्रस्ताव लिए 6सत्रावसन कर, विधानसभा की अधिकारिक
संवैधानिक विवाद में डालने का कार्य किया है।

स्वतंत्रता के बाद से परम्परा रही है कि लोकसभा को तथा
विधानसभा की सरकार की कार्यकाल अवधि में सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया जाता है।

बंगाल के
राज्यपाल ने संविधान के अनुच्छेद 174 के खंड 2 के उपखंड ए द्वारा प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए
सत्रावसन की अधिसूचना जारी की है।

जिसके कारण विधानसभा का सत्र अब बिना राज्यपाल की मंजूरी के नहीं
बुलाया जा सकता है।
सत्र बुलाने का अधिकार सरकार को होता है। मुख्यमंत्री एवं संसदीय कार्य मंत्री द्वारा सत्र बुलाने के लिए गवर्नर को
लिखा जाता है।

सत्रावसन की अधिसूचना जारी होने से मुख्यमंत्री को राज्यपाल से सत्र बुलाने की मिन्नत करना पड़
सकती है। माना जा रहा है सत्र के दौरान विधानसभा में राज्यपाल को हटाने का संकल्प सरकार पास कराना चाहती
थी। इसी आशंका को देखते हुए राज्यपाल ने ममता बैनर्जी पर दबाब बनाने का काम किया है।


बंगाल का बजट सत्र शुरु होने की तैयारियां विधानसभा कर रही थी। बजट सत्र को लेकर अब बंगाल सरकार के
सामने नई संवैधानिक चुनौती खड़ी करके राज्यपाल धनखड़ ने मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी को नई चुनौती दी है।

इस
विवाद में मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच सहमति नहीं बनी तो अप्रैल माह से सरकार के सामने नई चुनौतियां
खड़ी हो जाएगी। सरकार को चलाने के लिए आर्थिक संकट का दौर खड़ा होगा।

ममता बैनर्जी के बारे में जगजाहिर
है, वह समझौता करने के स्थान पर अपनी बात पर अड़ी रहकर आमने-सामने आकर पूरी ताकत से लड़ती है।
ममता बैनर्जी की राजनीति में दबाब और समझौते का कोई इतिहास नहीं है।

तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम
केसरी से ममता बैनर्जी का टकराव हुआ। कांग्रेस अधिवेशन कोलकाता में चल रहा था। इसी बीच उन्होंने कांग्रेस
छोड़कर टीएमसी बनाकर कांग्रेस को चुनौती दी थी। पिछले 22 वर्षों के ममता बैनर्जी के राजनैतिक सफर में उन्होंने
अपनी दृण इच्छाशक्ति के साथ राजनीति अपनी शर्तों के साथ की है।


राज्यपाल धनखड़ ने सत्रावसन की अधिसूचना जारी कर लड़ाई को निर्णायक मोड़ पर पहुंचा दिया है। इस लड़ाई में
किसके पक्ष में ऊंट बैठेगा? हाल ही में प.बंगाल के विधानसभा चुनाव हुए हैं।

जिसमें टीएमसी को चुनाव में
अप्रत्याशित सफलता मिली है। ऐसी स्थिति में केन्द्र सरकार, हाईकोर्ट एवं सुप्रीमकोर्ट राज्यपाल के इस निर्णय से
सहमत होंगी, यह संभव नहीं दिखता है।

किसान आंदोलन, प. बंगाल के विधानसभा चुनाव के बाद 5 राज्यों के
विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा और केन्द्र सरकार को जिस तरह की चुनौतियां मिल रहीं है।

उसको देखते हुए
यहीं कहा जा सकता है। कि राज्यपाल महोदय ने गलत समय में गलत निर्णय लेकर एक नया राजनैतिक एवं
संवैधानिक विवाद पैदा किया है। इसकी परिणिति किस रुप में सामने आएगी अभी कह पाना मुश्किल है।