अयोध्या से पैदल चलकर प्रयागराज पहुंची वाटर वूमेन शिप्रा पाठक का भव्य स्वागत
अयोध्या से प्रारंभ हुई यात्रा उन उन जगहों पर जाएगी जिन जगहों पर भगवान राम अयोध्या से होते हुए रामेश्वरम तक पहुंचे थे इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य प्राचीन नदियों के आसपास वन और हरियाली संरक्षित किए जाने का उद्देश्य है.
ये हैं वाटर वूमेन के नाम से मशहूर MBA पास उम्र 38 कि शिप्रा पाठक हाथ में लाठी है, साथ में 10-15 लोग पहनावा बिल्कुल साध्वी जैसा वो अयोध्या से रामेश्वरम करीब 4000 किलोमीटर पैदल जा रही हैं।
अयोध्या से प्रारंभ हुई यात्रा उन उन जगहों पर जाएगी जिन जगहों पर भगवान राम अयोध्या से होते हुए रामेश्वरम तक पहुंचे थे इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य प्राचीन नदियों के आसपास वन और हरियाली संरक्षित किए जाने का उद्देश्य है.
देश में तेजी से कटते हुए जंगल और सूखती हुई नदियों के संरक्षण के लिए अयोध्या से रामेश्वरम तक पदयात्रा करने वाली वाटर वूमेन शिप्रा पाठक का प्रयागराज में महर्षि भरद्वाज प्रतिमा, बालसन चौराहे पर भव्य स्वागत और अभिनन्दन हुआ। उन्होंने कहा कि अगर पर्यावरण संरक्षित नहीं रहेगा तो मानव का धरा पर रहना मुश्किल हो जाएगा। शिप्रा पाठक ने कहा कि अनादि काल से जंगल और नदियों को संरक्षित किया गया था जिसका लाभ आज हम सभी लोग लें रहे हैं, ऐसे में जरूरी हो गया है कि हम आने वाली अपनी पीढिय़ों के सुखद भविष्य के लिए जंगल और नदियों के संरक्षण के लिए परिवार, समाज और सरकार के साथ लग जाये। महापौर गणेश केसरवानी ने कहा कि संकल्प से सिद्धि मिलती है ऐसे में हम लोग आपके साथ है।
पूरी मदद करेगा किन्नर समाज
उप्र किन्नर वेलफेयर बोर्ड की वरिष्ठ सदस्य और उप्र किन्नर अखाड़ा की प्रदेश अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी कौशल्यानंद गिरि (टीना मा ) ने कहा कि भगवान श्रीराम का साथ किन्नर समाज ने दिया था ऐसे में हम सभी लोग वाटर वूमेन शिप्रा पाठक के साथ है और उनके द्वारा जंगल और नदियों के संरक्षण के लिए चलाए जा रहे अभियान में किन्नर समाज पूरी मदद करेगा। शिप्रा पाठक वाटर वूमेन अयोध्या से लेकर रामेश्वरम तक पैदल यात्रा का स्वागत दिव्यांगोत्थान श्रीराम सेवा न्यास द्वारा अभिषेक तिवारी अधिवक्ता उच्च न्यायालय की ओर से महर्षि भारद्वाज प्रतिमा पर किया गया । वाटर वूमेन शिप्रा पाठक का स्वागत प्रयागराज के मेयर गणेश केसरवानी, उप्र किन्नर वेलफेयर बोर्ड की वरिष्ठ सदस्य और उप्र किन्नर अखाड़ा की प्रदेश अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी कौशल्यानंद गिरि (टीना मा ), जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद महराज , वरिष्ठ भाजपा नेता रईस चंद शुक्ला, तनय पांडे, रोहित तिवारी , गौरव पांडे, आलोक मिश्रा , गिरीश द्विवेदी, दीपक कुमार ,रतन कुमार सहित अन्य लोग थे। इसके पूर्व आज सुबह वाटर वूमेन शिप्रा पाठक ने संगम स्नान कर बड़े हनुमान जी और महंत बलबीर गिरि महराज का आशीर्वाद लिया। उन्होंने बताया कि वह रामेश्वरम तक जंगल और नदियों के संरक्षण के लिए पदयात्रा करेंगी।
भगवान राम के जीवन में एक समय ऐसा भी आया था, जब उन्हें 14 वर्ष का वनवास मिला था. अयोध्या से लेकर रामेश्वरम तक की गाथा का वर्णन आज भी वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस में देखने को मिलता है. भगवान राम की नगरी के साथ अब जिन-जिन जगहों पर भगवान राम अपने वनवास काल में गए थे. उस जगह पर अब बदायूं जनपद की रहने वाली वाटर वूमेन के नाम से मशहूर शिप्रा पाठक जाएगी. भगवान राम की नगरी से रामेश्वरम तक की पदयात्रा का अयोध्या में शुभारंभ हुआ. इस दरमियान वाटर वूमेन के नाम से मशहूर शिप्रा पाठक ने अयोध्या के लक्ष्मण किला मंदिर में संतों से आशीर्वाद भी लिया.
अयोध्या से प्रारंभ हुई यात्रा उन उन जगहों पर जाएगी जिन जगहों पर भगवान राम अयोध्या से होते हुए रामेश्वरम तक पहुंचे थे. इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य प्राचीन नदियों के आसपास वन और हरियाली संरक्षित किए जाने का उद्देश्य है. इस दरमियान अयोध्या से लगभग 4000 किलोमीटर की लंबी पद यात्रा वाटर वूमेन के नाम से चर्चित महिला शिप्रा पाठक ने शुरू किया. आपको बता दें यह पहला मौका नहीं है जब शिप्रा पाठक किसी पद यात्रा पर निकली हों पहले वे मां नर्मदा, सरयू, शिप्रा जैसी पवित्र नदियों की पदयात्रा कर चुकी है. यही कारण है कि उन्हें लोग वॉटर वुमन के नाम से जानते है.
वाटर वूमेन शिप्रा पाठक ने रामनगरी से शुरू की पदयात्रा
अयोध्या से रामेश्वरम तक की पदयात्रा शुरू करने वाली शिप्रा पाठक ने बताया कि पदयात्रा अयोध्या से रामेश्वरम तक चलेगी. जिसमें प्रमुख रूप से दो केंद्र बिंदु है. एक राम वन गमन मार्ग पर जानकी वाटिका बनाया जाए और दूसरा जल संरक्षण के लिए नदियों के प्रति लोगों को जागरूक किया जाए. शिप्रा पाठक ने बताया कि नारी शक्ति में संस्कृत का विकास करना प्रमुख उद्देश्य है. वाटर वूमेन के नाम से चर्चित शिप्रा पाठक ने कहा कि लगभग 4000 किलोमीटर लंबी यात्रा है जो 5 से 6 राज्यों को पर करते हुए रामेश्वरम तक जाएगी. इसमें लगभग आधे भारत की यात्रा पैदल की जाएगी.