शीत लहर के चलते शीत-घात से बचाव को लेकर जिला प्रशासन ने सरकार के निर्देशानुसार विशेष एडवाइजरी जारी
उपायुक्त मोनिका गुप्ता ने शीत लहर के चलते शीत-घात से बचाव को लेकर जिला प्रशासन ने सरकार के निर्देशानुसार विशेष एडवाइजरी जारी की है।
शीतलहर व ठंड से बचाव के लिए जिलावासी बरतें विशेष सावधानी, जिला प्रशासन द्वारा जारी एडवाइजरी की करें पालना : मोनिका गुप्ता
उपायुक्त मोनिका गुप्ता ने शीत लहर के चलते शीत-घात से बचाव को लेकर जिला प्रशासन ने सरकार के निर्देशानुसार विशेष एडवाइजरी जारी की है। उपायुक्त ने आम नागरिकों से शीतलहर व सर्दी से बचाव के लिए विशेष सावधानी बरतने की अपील भी की है। उन्होंने कहा कि इन दिनों शीतलहर चल रही है। इसी के मद्देनजर हम सावधानी बरतकर शीत घात से बच सकते हैं। शीतलहर से बचाव के लिए इन बातों की पालना जरूर करें।
उन्होंने कहा कि शीत-घात से बचने के लिए मौसम पूर्वानुमान के लिए रेडियो/टीवी/समाचार पत्रों से मौसम संबंधित जानकारी लेते रहे। सर्दियों लिए पर्याप्त कपड़ों का स्टॉक करें। घर में ठंडी हवा के प्रवेश रोकने के लिए दरवाजों तथा खिड़कियों को ठीक से बंद रखें। फ्लू, नॉक बहना जैसी विभिन्न बीमारियों की संभावना आमतौर पर ठंड में लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण होती हैं। इसलिए स्थानीय स्वास्थ्य कर्मियों या डॉक्टर से परामर्श करें।
उपायुक्त ने कहा कि जितना हो सके घर के अंदर रहें और ठंडी हवा, बारिश, बर्फ के संपर्क में आने से बचे। गर्म कपड़े पहनें। तंग कपडे खून के बहाव को रोकते हैं, इनसे बचें। शरीर की गरमाहट बनाये रखने हेतु अपने सिर, गर्दन, हाथ और पैर की उंगलियों को पर्याप्त रूप से ढककर रखें। हाथों में दस्ताने रखें। सिर पर टोपी या मफलर पहने, स्वास्थ्य वर्धक भोजन लें। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार पर्याप्त रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने के लिए विटामिन सी से भरपूर फल और सब्जियां खाएं। गर्म तरल पदार्थ नियमित रूप से पीएं, इससे ठंड से लडऩे के लिए शरीर की गर्मी बनी रहेगी।
उन्होंने बुजुर्ग लोगों, नवजात शिशुओं तथा बच्चों का विशेष ध्यान रखने की सलाह दी और कहा कि ऐसे पडोसी जो अकेले रहते हैं, विशेषकर बुजुर्ग लोगों का हाल चाल पूछते रहें। जरूरत के अनुसार ही रूम हीटर का प्रयोग करें, लेकिन रूम हीटर के प्रयोग के दौरान पर्याप्त हवा निकासी का प्रबंध रखें। बंद कमरों में कोयले को जलाना खतरनाक हो सकता है। क्योंकि यह कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी जहरीली गैस पैदा करती है।
उपायुक्त ने कहा कि शीतलहर के दौरान पशुओं और पशुधन को जीवन यापन के लिए अधिक भोजन की आवश्यकता होती है क्योंकि ऊर्जा की आवश्यकता बढ़ जाती है। रात के समय पशुओं के आवास को सभी तरफ से ढक दें ताकि ठंडी हवाओं के सीधे संपर्क में आने से बचा जा सके। चारा खाने, खिलाने और चबाने के व्यवहार पर वसा की खुराक-केंद्रित अनुपात प्रदान करें। सर्दियों के दौरान पशुओं के नीचे सूखे भूसे जैसी कुछ बिस्तर सामग्री डालें।