उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कुछ जनपदों में पुरानी व्यवस्था उखाड़ कर कमिश्नरेट पुलिस व्यवस्था क्यों की? इससे पुलिस की कार्यशैली में क्या कोई अंतर आया
गाजियाबाद के जीटी रोड पर एक महत्वपूर्ण पुलिस चौकी के अंदर परंतु दरवाजे के ठीक आगे बैठे दरोगा बाबू किसी मामले से संबंधित कागजात लिखने में मग्न थे कि एक युवक ने अंदर प्रवेश किया।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कुछ जनपदों में पुरानी व्यवस्था उखाड़ कर कमिश्नरेट पुलिस व्यवस्था क्यों की? इससे पुलिस की कार्यशैली में क्या कोई अंतर आया?
गाजियाबाद के जीटी रोड पर एक महत्वपूर्ण पुलिस चौकी के अंदर परंतु दरवाजे के ठीक आगे बैठे दरोगा बाबू किसी मामले से संबंधित कागजात लिखने में मग्न थे कि एक युवक ने अंदर प्रवेश किया। उसने कहा,-मेरा मोबाइल चोरी हो गया है। दरोगा बाबू बगैर
कुछ पूछे दहाड़े,-बाहर निकल।युवक डर के मारे एकदम से दरवाजे के बाहर पहुंच गया। उसने वहीं से अरदास लगाई,-साहब मैं दिल्ली से मेट्रो में आया हूं,मेरा मोबाइल चोरी हो गया है।
दरोगा बाबू उसी प्रकार गुस्से में दहाड़े, तो क्या मैं तुझे मोबाइल खरीद कर दूं। फिर उन्होंने उखड़े हुए लहजे में उससे घटनास्थल पूछा, उसने बताया कि वह मेट्रो स्टेशन के बाएं ओर उतरा है,
दरोगा ने उसे हड़काते हुए घटनास्थल दूसरी पुलिस चौकी का बताया, उसने उस चौकी का पता पूछा तो दरोगा बहिन का.........(गाली देते हुए)कहा,-वहीं छोड़कर आऊं।युवक डर और निराशा का भाव लेकर वहां से चला गया। दरोगा जी पचास वर्ष से कम नहीं थे।
उनका मूड सामान्य था। उन्हें किसी उच्चाधिकारी से डांट भी नहीं मिली थी।युवक से पूछा नहीं तो उसके निवास स्थान का पता कैसे चलता। यदि वह दिल्ली से आया होगा तो उसे यूपी पुलिस की कौन सी पुलिस का चेहरा याद रहेगा? कमिश्नरेट पुलिस या सदा से चली
आ रही पारंपरिक पुलिस का।वह युवक गया तो एक और युवक वहां आया। उसने दरोगा से एक कोरा कागज मांगा।उसे संभवतः
अपने साथ हुई किसी घटना की तहरीर लिखकर देनी थी। दरोगा बाबू ने उसे भी ऐसे ही हड़काया,-जाइये, यहां कोई कागज नहीं है