योग की हस्त मुद्राएं शरीर को निरोगी बनाए
योग की हस्त मुद्राएं शरीर को निरोगी बनाए
योग की हस्त मुद्राएं शरीर को निरोगी बनाए
अलका सिंहयो
योग में हस्त मुद्राएं बहुत ही महत्वपूर्ण और लाभदायक बताई गई हैं। हाथों को विभिन्न प्रकार से मोड़कर बनने वाली ये मुद्राएं योगी के उद्देश्य का प्रतीक होती हैं। ये मुद्राएं ही हैं जो योगी को उसके उद्देश्य के प्रति तत्पर बनाए रखने में मदद करती हैं। ये योगी के शरीर की आंतरिक और सुप्त ऊर्जा को जाग्रत करती हैं। प्राचीन भारतीय ग्रंथों और वेदों में करीब 399 योग मुद्राओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है।
हस्त मुद्रा का योग में बड़ा महत्व व फायदा बताया गया है। हाथों की 10 अंगुलियों से विशेष प्रकार की आकृतियां बनाना ही हस्त मुद्रा कही गई है। हाथों की सारी अंगुलियों में पांचों तत्व मौजूद होते हैं जैसे अंगूठे में अग्नि तत्व, तर्जनी अंगुली में वायु तत्व, मध्यमा अंगुली में आकाश तत्व, अनामिका अंगुली में पृथ्वी तत्व और कनिष्का अंगुली में जल तत्व। पांच तत्वों पर मुद्रा का सारा खेल केंद्रित है।| दूसरा जहां से प्राण का संचार होता है जिसको प्राणवायु का केंद्र कहा गया है
इस दोनों के रिलेशन यानी संबंध के बीच में मुद्रा की सारी कहानी सारा रहस्य आपके सामने प्रकट हो जाती है। अलग-अलग मुद्राओं से अलग-अलग रोगों में लाभ मिलता है। मन में सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है। शरीर में कहीं भी यदि ऊर्जा में अवरोध उत्पन्न हो रहा है तो मुद्राओं से वह दूर हो जाता है।
योग के ये चमत्कारिक हस्त मुद्रा हमारी शारीरिक-मानसिक ऊर्जा को संतुलित करते हैं और कई बीमारियों को काबू करने में हैं असरकार हैं। हालांकि मुद्रा को लेकर आज कई बड़े-बड़े दावे हो रहे हैं, जिससे मुद्रा के पीछे का तत्व विज्ञान सामने नहीं आ पा रहा है। हमारे ऋषि-मुनियों ने शास्त्रों के जरिए इस ओर इशारा किया है, हमें उस इशारे को समझने की जररुत है।
महत्वपूर्ण हस्त मुद्रायों के नाम :-
1- अग्नि मुद्रा
2- अपान मुद्रा
3- अपानवायु मुद्रा
4- शून्य मुद्रा
5- लिंग मुद्रा
6- वायु मुद्रा
7- वरुण मुद्रा
8- सूर्य मुद्रा
9- प्राण मुद्रा
10- ज्ञान मुद्रा
11- पृथ्वी मुद्रा
विशेष निर्देश
1. कुछ मुद्राएँ ऐसी हैं जिन्हें सामान्यत पूरे दिनभर में कम से कम 45 मिनट तक ही लगाने से लाभ मिलता है। इनको आवश्यकतानुसार अधिक समय के लिए भी किया जा सकता है। कोई भी मुद्रा लगातार 45 मिनट तक की जाए तो तत्व परिवर्तन हो जाता है।
2. कुछ मुद्राएँ ऐसी हैं जिन्हें कम समय के लिए करना होता है-इनका वर्णन उन मुद्राओं के आलेख में किया गया है।
3. कुछ मुद्राओं की समय सीमा 5-7 मिनट तक दी गयी है। इस समय सीमा में एक दो मिनट बढ़ जाने पर भी कोई हानी नहीं है। परन्तु ध्यान रहे की यदि किसी भी मुद्रा को अधिक समय तक लगाने से कोई कष्ट हो तो मुद्रा को तुरंत खोल दें।
4. ज्ञान मुद्रा, प्राण मुद्रा, अपान मुद्रा काफी लम्बे समय तक की जा सकती है।
5. कुछ मुद्राएँ तुरंत प्रभाव डालती है जैसे- कान दर्द में शून्य मुद्रा, पेट दर्द में अपान मुद्रा/अपानवायु मुद्रा, एन्जायना में वायु मुद्रा/अपानवायु मुद्रा/ऐसी मुद्रा करते समय जब दर्द समाप्त हो जाए तो मुद्रा तुरंत खोल दें।
6. लम्बी अविधि तक की जाने वाली मुद्राओं का अभ्यास रात्री को करना आसन हो जाता है। रात सोते समय मुद्रा बनाकर टेप बांध दें, और रात्री में जब कभी उठें तो टेप हटा दें। दिन में भी टेप लगाई जा सकती है क्यूंकि लगातार मुद्रा करने से जल्दी आराम मिलता है।
7. वैसे तो अधिकतर मुद्राएँ चलते-फिरते, उठते-बैठते, बातें करते कभी भी कर सकते हैं, परन्तु यदि मुद्राओं का अभ्यास बैठकर, गहरे लम्बे स्वासों अथवा अनुलोम-विलोम के साथ किया जाए तो लाभ बहुत जल्दी हो जाता है।हस्त मुद्रायों के लाभ :-
1- शरीर की सकारात्मक सोच का विकास करती है।
2- मस्तिष्क, हृदय और फेंफड़े स्वस्थ बनते हैं।
3- ब्रेन की शक्ति में बहुत विकास होता है।
4- इससे त्वचा चमकदार बनती है।
5- इसके नियमित अभ्यास से वात-पित्त एवं कफ की समस्या दूर हो जाती है।
6- सभी मानसिक रोगों जैसे पागलपन, चिडचिडापन, क्रोध, चंचलता, चिंता, भय, घबराहट, अनिद्रा रोग, डिप्रेशन में बहुत लाभ पहुंचता है।
7- वायु संबन्धी समस्त रोगों में लाभ होता है।
8- मोटापा घटाने में बहुत सहायक होता है।
9- ह्रदय रोग और आँख की रोशनी में फायदा करता है।
10- साथ ही यह प्राण शक्ति बढ़ाने वाला होता है।
11- कब्ज और पेशाब की समस्याओ में फायदा है।
12- इसको निरंतर अभ्यास करने से नींद अच्छी तरह से आने लगती है और साथ में आत्मविश्वास भी बढ़ता है। अंततःनिष्कर्ष निकलता है कि यदि योग मुद्राओं का अभ्यास किया जाए तो शारीरिक दोष से मुक्ति मिलती है।
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